Raipur News : कोरोना महामारी के कठिन समय में जब जनता को स्वास्थ्य सुविधाओं की सबसे अधिक आवश्यकता थी, वहीं रायपुर नगर निगम (Raipur Nigam Chunav) द्वारा स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर की गई चरणबद्ध भ्रष्टाचार ने जनता का रुख क्रोध की ओर मोड़ दिया है।
बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में अस्थायी कोविड सेंटर स्थापित किया गया, लेकिन इसके प्रबंधन में हुई लापरवाही और धन की बर्बादी को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
नगर निगम (Raipur Nigam Chunav) ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड के माध्यम से मात्र किराये के सामान पर ₹79,90,162 खर्च कर दिए। यदि जरूरी वस्तुओं की खरीदी की जाती तो किराये की तुलना में कम लागत आती, लेकिन यहां बड़े पैमाने पर किराए पर ही निर्भरता दिखाई देती है।
उदाहरण के तौर पर, सीसीटीवी और साउंड सिस्टम पर ₹59,37,662 का किराया चुका, जबकि 25 इंटरकॉम के लिए ₹11,25,000, 750 मीटर वायर के लिए ₹2,96,000, 23 बड़े बिजली बल्बों के लिए ₹1,72,500, 157 सीएफएल बल्बों के किराये पर ₹3,14,000, 1 एसी के लिए ₹75,000 और 5 कुलर के लिए ₹70,000 जैसे खर्च भी सामने आए।
इन आंकड़ों से साफ झलकता है कि संकट के समय में भी नगर निगम (Raipur Nigam Chunav) द्वारा सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हुआ, जिससे आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होने वाले पैसे कहीं और बर्बाद हो गए।
महापौर एजाज ढेबर की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठते हैं, जिन्होंने कोरोना जैसी आपातकालीन स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा के बदले किराये पर महंगे सामान खरीदने का निर्णय लिया। यह निर्णय न सिर्फ खर्च बढ़ाने का उदाहरण है, बल्कि प्रशासनिक निष्क्रियता और भ्रष्टाचार की भी प्रतिकृति बन चुका है।
भाजपा ने बनाया चुनावी हथियार (Raipur Nigam Chunav)
विपक्षी दल इस मुद्दे को आगामी नगर निगम चुनाव 2025 का सबसे तगड़ा हथियार बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा, “जब संकट के समय में जनता के हित में कार्रवाई की जानी चाहिए थी, तो नगर निगम ने महज किराये के सामान पर अति महंगा खर्च कर सार्वजनिक धन की लूट कर डाली। क्या यह तरीका है जनता के विश्वास को ठेस पहुँचाने का?”
राजधानी में मूलभूत सुविधाओं का अभाव (Raipur Nigam Chunav)
रायपुर, जो प्रदेश की राजधानी है, वहां मूलभूत स्वास्थ्य और सफाई सुविधाओं का अभाव जनता के लिए चिंता का विषय है। पिछले कुछ वर्षों से विकास की राह में अड़चनें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
सार्वजनिक निधियों का दुरुपयोग करते हुए नगर निगम में भ्रष्टाचार की बुराई छिपा नहीं रह सका। जनता का प्रश्न अब स्पष्ट हो गया है – “1327 करोड़ रुपये से अधिक के विकास धन का क्या हुआ? किसने इन लाखों का खेल खेला?”
जनता को चाहिए पारदर्शित वाली सरकार (Raipur Nigam Chunav)
आगामी चुनाव में यह मुद्दा निश्चित ही निर्णायक साबित हो सकता है। रायपुर के नागरिक अब पारदर्शिता, जवाबदेही और विकास की मांग कर रहे हैं।
यदि प्रशासन ने संकट के समय में भी सही प्रबंधन न किया, तो भविष्य में भी नागरिकों को उनकी मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रखा जाएगा। जनता अब सोच रही है कि क्या वे ऐसे भ्रष्टाचार और लापरवाही के शिकार महापौर और उनके साथियों को दोबारा सत्ता में आने का मौका देंगे या नहीं।
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