Raigarh News : ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक सफलता ने (Jindal Steel) जहां देश को गौरवान्वित किया, वहीं जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों के हजारों नागरिकों के लिए यह एक मानवीय संकट भी बन गया। पाकिस्तान द्वारा की गई गोलाबारी से कई सीमावर्ती गांव बुरी तरह प्रभावित हुए, लोगों की जानें गईं और वे बेघर हो गए। इस कठिन समय में जिंदल स्टील (Jindal Steel) समूह ने एक जिम्मेदार नागरिक और कॉरपोरेट की भूमिका निभाते हुए पुनर्वास में सहयोग का संकल्प लिया है।
इस पहल के तहत समूह के 20,000 से अधिक कर्मचारी स्वेच्छा से अपना एक दिन का वेतन (One Day Salary) देंगे। समूह के चेयरमैन और कुरुक्षेत्र से लोकसभा सांसद नवीन जिंदल (Naveen Jindal) ने इसे केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय कर्तव्य बताया। उन्होंने कहा, “जो लोग सीमा पर रहते हैं, वे भी सैनिकों से कम नहीं। उनका साहस और बलिदान प्रेरणास्पद है। हम सबका नैतिक कर्तव्य है कि हम उनके साथ खड़े हों।”
जब देश ने दी पुकार, जिंदल स्टील बना सहारा
जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में पाक गोलाबारी से विस्थापन की समस्या खड़ी हो गई है। जिंदल स्टील (Jindal Steel) ने इस संकट में राहत कार्यों के लिए पहल की है।
समूह के 20,000 कर्मचारी एक दिन का वेतन देंगे। नवीन जिंदल ने इसे “राष्ट्र सेवा” बताते हुए देशवासियों से भी योगदान की अपील की है। यह कदम कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR Initiative) का सशक्त उदाहरण है।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के तहत जवाबी कार्रवाई की। इस दौरान पाकिस्तान की ओर से हुई जवाबी गोलाबारी में कई भारतीय गांव प्रभावित हुए। इससे पहले भी जिंदल स्टील (Jindal Steel) कोविड काल में ऑक्सीजन और भोजन आपूर्ति, पीएम केयर्स फंड में ₹25 करोड़ का योगदान और 2013 की उत्तराखंड आपदा में सहायता कर चुकी है।
जिंदल स्टील हर आपदा में साथ (Jindal Steel)
कोविड-19 के समय देशभर में ऑक्सीजन आपूर्ति, मुफ्त भोजन वितरण और पीएम केयर्स फंड में योगदान जैसे कार्यों के माध्यम से जिंदल स्टील ने राष्ट्रीय आपदा में अग्रणी भूमिका निभाई थी।
2013 की उत्तराखंड आपदा हो या अब का सीमावर्ती संकट, समूह हर बार आगे आया है। यह न केवल कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी की मिसाल है, बल्कि एक जीवंत राष्ट्र सेवा भावना (Nation Service) भी है।
नवीन जिंदल (Naveen Jindal) का यह निर्णय इस बात का प्रमाण है कि जब देश संकट में हो, तो कॉरपोरेट भारत सिर्फ दानदाता नहीं, एक सक्रिय साथी भी बन सकता है। इस सहयोग के माध्यम से सीमावर्ती नागरिकों को यह भरोसा मिलेगा कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है।