Chhattisgarh News : संतुलित, समन्वित, समग्र जीवन को लेकर पूज्य उपाध्याय प्रवर महेन्द्र सागर मसा, मनीष सागर मसा ने जैन मानद विश्वविद्यालय बैंगलुरू और विचक्षण जैन विद्या पीठ रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में दो पाठ्यक्रम की शुरूआत की। इनमें संपूर्ण जीवन प्रबंधन व तत्वार्थ कोर्स (Samman) शामिल है।
संपूर्ण जीवन प्रबंधन के तहत बेसिक व एडवांस कोर्स संचालित है। कुछ महीने पूर्व ऑल इंडिया लेवल पर बेसिक कोर्स की परीक्षा हुई। इसमें सैकड़ों परीक्षार्थी शामिल हुए थे। बेसिक कोर्स (संपूर्ण जीवन प्रबंधन) में बिलासपुर निवासी किरण भंसाली शर्मा ने ऑल इंडिया लेवल पर प्रथम स्थान बनाया।
पूज्य गुरू भगवंतों के मार्गदर्शन में संचालित इस कोर्स में स्थान बनाने वालों को सम्मानित (Samman) करने शनिवार को अभिनंदन समारोह का आयोजन हुआ। धमतरी के पाश्र्वनाथ जैन मंदिर में बेसिक, एडवांस सहित संचालित अन्य कोर्स में स्थान बनाने वालों का अभिनंदन कर पुरस्कृत किया गया।
श्री जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक संघ धमतरी द्वारा सभी रैंक प्राप्त मेधावी छात्रों को मोमेंटों देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान चातुर्मास पर धमतरी पहुंचे पूज्य मुनि महेन्द्र सागर, मनीष सागर व विशुद्ध सागर मसा ने सभी सफल छात्रों को शुभकामनाएं दी।
अभिनंदन समारोह में बिलासपुर निवासी किरण भंसाली शर्मा, इंदौर निवासी पुष्पा खजांची, अनुज खजांची, खैरागढ़ निवासी कुशल जैन, उज्जैन निवासी प्रदीप ओरा, नागपुर निवासी ममता बधाणी, शिखा हिरावत, रायपुर निवासी ज्योति मालू, तुसी डाकलिया, जोधपुर निवासी शशि पामेचा, टीना पटवा, राजेन्द्र पामेचा, कवर्धा निवासी नीता लुनिया, दिल्ली निवासी सुमन, जयपुर निवासी तृप्ति डागा, महासमुंद निवासी चेतना मालू, दिप्ती चोपड़ा का सम्मान (Samman) हुआ।
संपूर्ण जीवन प्रबंधन बेसिक कोर्स अंतर्गत ऑलइंडिया लेवल में फस्र्ट रैंक लाने वाली बिलासपुर निवासी किरण भंसाली शर्मा पति जितेन्द्र शर्मा ने कहा कि गुरूवरों के सानिध्य में संचालित कोर्स सिर्फ एक कोर्स नहीं है। बल्कि संतुलित जीवन जीने का माध्यम है। एग्जाम क्लीयर कर फस्र्ट आना जरूरी नहीं। जीवन में इसे आत्मसात करेंगे, तभी इस पाठ्यक्रम की सार्थकता होगी।
पाठ्यक्रम में पर्यावरण, समाज, जैन धर्म, शिक्षा, मन, मैनेजमेंट आदि विषयों का समावेश है। इन्हें अपने जीवन में अपनाकर जीवन को सुधारा जा सकता है। आज हर व्यक्ति सुखी रहना चाहता है। अर्थ, काम, धर्म, मोक्ष ये जीवन की कड़ी है। लोग अर्थ, काम को ही प्राथमिकता दे रहे, इसलिए आध्यात्मिक, नैतिक, जीवन मूल्यों में गिरावट आई है।
प्राचीन समय में उक्त चार जीवन मूल्यों में पुरूषार्थ का बैलेंस था। अब बैलेंस बिगड़ गया है। संपूर्ण जीवन प्रबंधन गड़बड़ा गया है। संतुलित, समन्वित और समग्र जीवन जीने के लिए गुरूवरों ने यह पाठ्यक्रम लाया है।