Sukma News : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित (Sukma Panchayat Chunav) क्षेत्रों में लोकतंत्र की एक नई सुबह देखने को मिली, जहां दशकों से नक्सली प्रभाव और चुनाव बहिष्कार के कारण मतदान संभव नहीं हो पाया था।
इस बार, बड़े केड़वाल और छोटे केड़वाल गांवों के लगभग 60 से अधिक ग्रामीणों ने 30 किलोमीटर की दूरी तय कर चिंतागुफा में मतदान (Sukma Panchayat Chunav) किया। ग्रामीणों ने ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और पैदल यात्रा कर मतदान केंद्र तक पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
ग्रामीणों के चेहरों पर मतदान की खुशी स्पष्ट दिखाई दे रही थी। उन्होंने कहा कि अब वे अपने गांव की सरकार बनाएंगे और सड़कों, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग करेंगे।
पहले, नक्सली बहिष्कार के डर से वे मतदान से दूर रहते थे, लेकिन अब सुरक्षा बलों की उपस्थिति से वे निडर होकर मतदान करने पहुंचे हैं।
चिंतागुफा के मतदान (Sukma Panchayat Chunav) केंद्र में भारी भीड़ देखी गई, जहां महिलाएं अपने बच्चों के साथ लाइन में खड़ी थीं और बुजुर्ग पंडाल में बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। यहां के अधिकांश मतदाता पहली बार मतदान कर रहे थे, जिन्हें युवा मतदान प्रक्रिया के बारे में समझा रहे थे।
केरलापेंदा गांव में 1970 में बने श्रीराम मंदिर को 2003 में नक्सलियों ने बंद करवा दिया था। 2024 में सीआरपीएफ कैंप खुलने के बाद, मंदिर के दरवाजे फिर से खोले गए और अब वहां नियमित पूजा होती है।
इस बार, आंगनबाड़ी में स्थापित मतदान केंद्र में अच्छी संख्या में मतदाताओं ने हिस्सा लिया। जगरगुड़ा क्षेत्र, जिसे नक्सलियों की राजधानी कहा जाता था, में इस बार 12 मतदान केंद्र स्थापित किए गए।
कामाराम मतदान केंद्र (Sukma Panchayat Chunav) में महिलाओं ने पानी की कमी की समस्या को उठाया और पुरुषों ने सड़क की दुर्दशा की बात कही। सभी ने अपने क्षेत्र के विकास के लिए मतदान में भाग लिया।
यह परिवर्तन सुरक्षा बलों की उपस्थिति और ग्रामीणों की जागरूकता का परिणाम है, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हो रही हैं।
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