Raigarh News : छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी के शहर रायगढ़ (Raigarh Tahsildar) में प्रशासनिक आतंकवाद का मामला सामने आया है। जहां एक युवक की पहली स्कूटी को नुकसान पहुंचाया गया और उसके बाद विवाद करने के नाम पर पिता पुत्र को जेल भेज दिया गया। यही नहीं यहां उत्तर प्रदेश के योगी सरकार की तर्ज पर आनन फानन में राजस्व विभाग भी शर्मा परिवार के घर आ धमका और उनके द्वारा अतिक्रमण किए जाने की बात कहकर मकान की नापजोख शुरू कर दी।
दरअसल, गुरूवार शाम रायगढ़ तहसीलदार (Raigarh Tahsildar) लोमेश मिरी अपनी चारपहिया वाहन में जिला पंचायत के पीछे, छोटे अतरमुड़ा में अपनी पत्नी के साथ अपने बच्चे को ट्यूशन छोड़ने गए थे। गली सकरी होने के बावजूद भी अपनी चार पहिया वाहन को उन्होंने अंदर डाल दिया। जिससे एक घर के सामने खड़ी स्कूटी उनके गाड़ी से गिर गई। इसके बाद वहां रहने वाला शर्मा परिवार बाहर निकला। गाड़ी उठाने को लेकर बहस बाजी हुई।
तहसीलदार ने फोन लगाना शुरू किया और धीरे-धीरे पूरा प्रशासनिक अमला हरक़त में आया और इसका परिणाम युवक और उसके पिता पर एस्ट्रोसिटी एक्ट और छेड़छाड़ जैसी गंभीर गैर जमानतीय धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर दिया गया।
इस मामले में तहसीलदार लोमेश मिरी का कहना है कि उनके साथ गाली गलौज और मारपीट की गई। उनकी पत्नी के साथ भी अभद्रता की गई। इसके बाद उन्होंने अपने विभाग के लोगों को बुलाया और चक्रधर नगर थाने पहुंचे। पुलिस ने इस मामले में राज शर्मा और उसके पिता गौरी शंकर शर्मा पर आईपीसी की धारा 294, 506, 34, 354, 323, अनुसूचित जाति जनजाति (नृशंसता अधिनियम) 3 (2) (5) के तहत अपराध दर्ज किया है।
4 साल पुरानी शिकायत को बनाया हथियार : अतरमुडा में शुक्रवार को कार्रवाई करने गई राजस्व विभाग को स्थानीय जनप्रतिनिधियों के भी विरोध का सामना करना पडा। परिजन ने बताया कि कोरोना काल में राजस्व विभाग को उक्त इलाके में अतिक्रमण करने की शिकायत की गई थी। शर्मा परिवार का तहसीलदार से विवाद के बाद उसी शिकायत को आधार मानकर राजस्व विभाग की टीम नापजोख कर अतिक्रमण हटाने का भय दिखाने लगी। हालाकि कॉलोनी में और भी अतिक्रमण है लेकिन टीम ने केवल एक ही मकान की नापजोख की। जिससे कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
इस तरह के प्रशासनिक आतंकवाद, मंत्री पर ही न पड़े भारी : इस तरह की प्रशासनिक आतंकवाद स्थानीय विधायक, मंत्री और सरकार के लिए भारी न पड़ जाए। अधिकारी तो दो से ढाई साल में बदल जाएंगे, लेकिन विधायक और मंत्रियों का क्षेत्र से पूरा जीवन रहेगा। ऐसे में ही जनप्रतिनिधियों को प्रशासनिक आतंकवाद के खिलाफ अंकुश लगाया जाए। जहां गड़बड़ी हो और काम में कोई रूकावट पैदा करें तो निसंदेह कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन अपनी कुर्सी और पावर का गलत तरीके से इस्तेमाल कर निर्दाेष लोगों को जेल भेज देना कतई सही नहीं है।