Monday, February 3, 2025
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Organic Farming : ऑर्गेनिक खेती करते समय इन बातों का ध्यान रखें, कम खर्च में अधिक मुनाफा कमाएं

Organic Farming Tips For Farmers :  जलवायु परिवर्तन के कई प्रमुख कारणों में खेतों में रसायनों का अत्यधिक उपयोग एक महत्वपूर्ण कारक है। इसी वजह से ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) को अपनाने की सलाह दी जा रही है।

सरकार भी लगातार जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा दे रही है। कुछ लोग जैविक खेती करने लगे हैं, जबकि कई नए किसान इसे अपनाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इसकी सही जानकारी नहीं होती।

आज हम आपको ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming)  से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें बताएंगे, ताकि आप बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकें। दरअसल, जैविक खेती में डीएपी और यूरिया जैसी रासायनिक खादों के बजाय गोबर की सड़ी हुई खाद या वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किया जाता है, जिसे केंचुआ खाद भी कहा जाता है।

जैविक खेती (Organic Farming) में जीवामृत का भी उपयोग किया जाता है। यह एक तरल रूप में होता है, जिसे गोबर, गौमूत्र, गुड़ का पानी और बेसन को मिलाकर तैयार किया जाता है। कीटनाशक के रूप में नीम की पत्तियों को उबालकर तैयार किया गया तरल छिड़का जाता है।

ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) में खाद की मात्रा के बारे में अधिकांश लोग अनजान होते हैं। यदि आप पहली बार ऑर्गेनिक खेती शुरू करने जा रहे हैं, तो जान लें कि एक एकड़ खेत में बुवाई से पहले कम से कम 10 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट डालना आवश्यक है।

इसके बाद, फसल को पहला पानी देने के समय 5 क्विंटल खाद देना चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो फसल में बालियां आने से पहले 2 क्विंटल अतिरिक्त खाद भी दी जा सकती है।

एक बार ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) शुरू करने के बाद, अगले वर्ष बुवाई से पहले लगभग 7 क्विंटल खाद और पहली सिंचाई के बाद 3.5 क्विंटल खाद देना उचित रहेगा।

जीवामृत के संदर्भ में, इसे सिंचाई के पानी में मिलाकर उपयोग किया जाता है। जैसा कि पहले बताया गया, यह गोबर, गौमूत्र, गुड़ का पानी और बेसन के मिश्रण से तैयार किया जाता है।

इस मिश्रण को खेतों की सिंचाई के पानी के साथ मिलाकर एक एकड़ खेत की सिंचाई के लिए लगभग 200 लीटर जीवामृत का उपयोग किया जाता है। नीम की पत्तियों को उबालकर इस मिश्रण में लगभग दोगुना पानी मिलाकर पौधों पर कीटनाशक के रूप में छिड़काव किया जा सकता है।

हम सभी जैविक खेती के सभी पहलुओं को समझ चुके हैं। अब आइए, जैविक खेती के फायदों पर भी एक नज़र डालते हैं। इससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में काफी वृद्धि होगी। वर्मी कंपोस्ट और जीवामृत के उपयोग से मिट्टी में स्वस्थ बैक्टीरिया की संख्या बढ़ेगी, जिससे मिट्टी अधिक भुरभुरी और बेहतर जलधारण क्षमता वाली बन जाएगी।

 

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