Wednesday, January 22, 2025
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

BHALU DIGGI : भालू डिगी, तादार के जंगल पाउड़ को नक्सलियों ने नया बेस बनाने की प्लानिंग, इस तरह मंसूबे पर फिरा पानी…!

GARIABAND NAXAL OPERATION : बस्तर क्षेत्र में लगातार हो रहे मुठभेड़ों और सुरक्षाबलों के सफल आपरेशनों ने नक्सलियों (BHALU DIGGI) की जड़ें हिला दी हैं। बस्तर के घने जंगलों में सुरक्षित ठिकाने तलाशने वाले नक्सली अब अपनी रणनीति बदल चुके हैं।

अबूझमाड़ और पामेड़ जैसे नक्सलगढ़ों (BHALU DIGGI) में सुरक्षा बलों की बढ़ती पैठ और नए कैंपों की स्थापना के चलते नक्सलियों को मजबूरन गरियाबंद जिले की ओर भागना पड़ा। गरियाबंद और ओडिशा के बार्डर से सटे दुर्गम जंगल और पहाड़ियां नक्सलियों के लिए अस्थायी सुरक्षित ठिकाने बन गए थे।

यह इलाका ओडिशा (BHALU DIGGI) से सटा होने के कारण उन्हें भागने और छिपने के कई रास्ते प्रदान करता है। खासतौर पर गरियाबंद का मैनपुर क्षेत्र नक्सलियों के मूवमेंट के लिए आदर्श साबित हुआ। धमतरी के सिहावा, कांकेर और कोंडागांव के रास्ते यहां पहुंचकर वे ओडिशा में आसानी से प्रवेश कर सकते थे।

Also Read  Mahtari Vandan Yojna : सीएम ने पत्नी संग खींचे 'बइला, मंत्रियों ने पकड़ी रस्सी, 70 लाख महिलाओं को 1-1 हजार जारी

यही कारण है कि नक्सलियों (BHALU DIGGI) ने इस क्षेत्र को अपना नया बेस बनाने की कोशिश की। इस मुठभेड़ के दौरान मारे गए नक्सली सिर्फ छोटे कैडर के नहीं थे, बल्कि इनमें शीर्ष नेतृत्व के सदस्य भी शामिल थे। जिन नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, वे सेंट्रल कमेटी के सदस्य थे।

यह वही नक्सली (BHALU DIGGI) टाप लीडरशिप का हिस्सा थे, जो संगठन की रणनीति तय करते थे। अब तक गरियाबंद में सिर्फ डिविजनल कमेटी मेंबर और एरिया कमेटी मेंबर स्तर के नक्सलियों की हलचल देखी जाती थी।

लेकिन पहली बार इतने उच्च स्तर के नेताओं की मौजूदगी इस इलाके में देखी गई। यह इस बात का पुख्ता सबूत है कि बस्तर में अपनी पकड़ कमजोर होने के कारण नक्सली गरियाबंद को नया ठिकाना बना रहे थे।

 

पांचवीं बार में जवानों को मिली बड़ी सफलता (BHALU DIGGI)
भालूडिगी और तादार के जंगल पाउड़ पर अब तक चार बार मुठभेड़ (BHALU DIGGI) हो चुकी है, लेकिन हर बार नक्सली घने जंगल और पहाड़ का फायदा उठाकर भागने में सफल हो जाते थे।
लेकिन पांचवीं बार रविवार रात से जारी मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने 20 से अधिक नक्सलियों को ढेर कर दिया।

बताया जा रहा है कि नुआपाड़ा डिविजन इसी जगह से आपरेट होता था। जहां मुठभेड़ हुई वहां से ओडिशा नुआपाड़ा जिले की सीमा महज साढ़े पांच किमी ही दूर है।

Also Read  Driving Licence : अब छत्तीसगढ़ में पासपोर्ट की तर्ज पर बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस

लगभग 10 किमी की खड़ी चढ़ाई कर दोनों राज्यों के सुरक्षा जवानों को यहां पहुंचना होता था। यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को नक्सली फायदा उठाते थे और भाग जाते थे।

ड्रोन का पहली बार किया उपयोग (BHALU DIGGI)
यह आपरेशन खास इसलिए है क्योंकि इसमें ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। बस्तर क्षेत्र में घने जंगलों के कारण पहले कभी ड्रोन का इस्तेमाल मुठभेड़ों में नहीं किया जा सका, लेकिन अब ड्रोन कैमरों से नक्सलियों की गतिविधियों पर पूरी निगरानी रखी जा रही है।

इस तकनीकी तरीके से सुरक्षाबल नक्सलियों को आसानी से निशाना बना पा रहे हैं। इस तकनीकी कदम से यह साबित हो रहा है कि सुरक्षा बल नक्सलवाद के खिलाफ अपनी रणनीति में लगातार सुधार कर रहे हैं।

Also Read  मोदी सरकार से 2 लाख रुपये जीतने का मौका, 31 जनवरी तक ऐसे कर सकते हैं आवेदन
इस तरह चला संयुक्त आपरेशन (BHALU DIGGI)

पहले नक्सली जंगलों में थे। पेड़ों की आड़ से छिपकर फायरिंग कर रहे थे।
छत्तीसगढ़ की तरफ से फोर्स की तीन कंपनियां आगे बढ़ रही थीं। उधर, ओडिशा की तरफ से सात कंपनी आगे बढ़ रही थीं।
अब नक्सली जंगल से निकलकर चट्‌टानों में घिर चुके थे, यह खुला इलाका था।
जवानों के पास चार-पांच ड्रोन थे। इनमें देख-देखकर नक्सलियों को निशाना बनाया गया।

Most Popular