Saturday, January 25, 2025
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Mukhyamantri Vivah Yojana : मुख्यमंत्री नि:शक्तजन विवाह योजना के तहत अब कलेक्टर जारी करेंगे राशि

MP Government : मध्यप्रदेश में दिव्यांग युवक-युवतियों के विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने कलेक्टरों को वित्तीय अधिकार सौंप दिए हैं। अब कलेक्टर अपने जिले में कितने भी दिव्यांगों को मुख्यमंत्री निशक्तजन विवाह योजना के तहत प्रोत्साहन राशि सीधे प्रदान कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें सामाजिक न्याय और निशक्तजन विभाग के प्रमुख सचिव या कमिश्नर से प्रस्ताव भेजने और स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

Madhya Pradesh News : मुख्यमंत्री नि:शक्तजन विवाह योजना (Mukhyamantri Vivah Yojana) के तहत लाभार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने जिला कलेक्टर को 2 लाख रुपये तक की प्रोत्साहन राशि स्वीकृत करने का अधिकार प्रदान किया है।

सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण सशक्तिकरण (Mukhyamantri Vivah Yojana) की प्रमुख सचिव सोनाली वायंगणकर ने बताया कि दिव्यांगों के विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग द्वारा मुख्यमंत्री नि:शक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है।

इस योजना (Mukhyamantri Vivah Yojana) के अंतर्गत, यदि विवाह करने वाले दंपती में से एक व्यक्ति दिव्यांग है, तो राज्य सरकार 2 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान करती है। यदि दोनों दंपती दिव्यांग हैं, तो उन्हें 1 लाख रुपये तक की राशि दी जाती है।

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ऐसे मिलेगी प्रोत्साहन राशि (Mukhyamantri Vivah Yojana) 

इस योजना (Mukhyamantri Vivah Yojana) के तहत लाभार्थियों को प्रोत्साहन राशि आसानी से मिल सके, इसलिए राशि स्वीकृति का अधिकार अब जिला स्तर पर कलेक्टर को सौंपा गया है। कलेक्टर निराश्रित निधि की मूल राशि या ब्याज की राशि से प्रोत्साहन राशि स्वीकृत कर सकेंगे।

 

इस योजना के तहत मिलने वाली सहायता राशि 
अगर दंपति में से कोई एक विकलांग है, तो उसे 2 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है.
अगर दंपति दोनों विकलांग हैं, तो उन्हें 1 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है.
इन शर्तों का पूरा होना ज़रूरी है
आवेदक मध्य प्रदेश का निवासी होना चाहिए.
आवेदक की उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए.
आवेदिका की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए.
विवाह धार्मिक या सामाजिक रीति-रिवाज से या कानूनी तौर पर हुआ हो.
आवेदक को निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के तहत कम से कम 40% विकलांगता होनी चाहिए.
ज़िले के संयुक्त संचालक या उप संचालक, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग को आवेदन करना होता है.

 

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