Gariaband News : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय में मंगलवार रात से डेरा डाले तेन्दुआ (Tendua ) को पकडऩे आखिरकार चार दिन बाद शनिवार को वन विभाग ने तीन पिंजरे मंगाए। शाम होते ही इन पिंजरो को कब्रिस्तान के भीतर, मणिकंचन केन्द्र बाहर और पीछे जंगल क्षेत्र में लगाया भी। इसके अलावा ट्रेप कैमरे की संख्या भी बढ़ा दी गई। लेकिन पिंजरा लगाए जाने के बाद तेन्दुआ कही भी नजर नही आया, न ही उसका कोई मूवमेंट कैमरे में रिकार्ड हुआ।
आखिरी बार तेन्दुआ (Tendua ) शुक्रवार रात को मणिकंचन केन्द्र और कब्रिस्तान के बीच बाउड्रीवाल के पास दिखा था, जिसके बाद से वन अमला तेन्दुआ के नजर आने का इंतजार कर रहा है। लोगों का कहना है कि तेन्दुआ कब्रिस्तान के भीतर झाडिय़ों में छिपा है, लेकिन खतरा होने के चलते विभाग अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
मंगलवार को मादा तेन्दुआ (Tendua ) ने नगर के रावनभाटा वार्ड में दस्तक दी थी, पहली बार केशव साहू के घर के बाहर बाउंड्रीवाल में दिखा था। जिसके बाद से लगातार तेन्दुआ कब्रिस्तान, मणिकंचन केन्द्र और पीछे खेत के आसपास ही विचरण कर रहा है। अलग अलग दिन तेन्दुआ अलग अलग स्थानों में नजर आता रहा है।
वन अमला भी लगातार उसमें नजर बनाए रखी, लेकिन भगाने और पकडऩे में अब तक नाकाम ही रहा। हालांकि बिते दो दिनों से वन अमले ने पिंजरा लगाने के साथ ही वनकर्मियों की संख्या बढ़ा कर पूरे एरिया की घेराबंदी कर ली है। जानकारी के मुताबिक करीब 30 से 35 कर्मियो की ड्यूटी लगाई है, जो दिन रात सुरक्षा के दृष्टि से कब्रिस्तान और मणिकंचन केन्द्र के बाहर तैनात है।
नगर के रिहायशी इलाके में तेन्दुआ (Tendua ) की आमद से नगर में चार दिनों से दहशत का माहौल है। आसपास के लोग घर से बाहर निकलने से घबरा रहे हैं। वही कब्रिस्तान और मणिकंचन केन्द्र के नेशनल हाईवे गरियाबंद-देवभोग मार्ग से लगे होने के यहां रात के बाद जानमाल को भी खतरा है।
एनएच के चलते यहां चहलकमी ज्यादा होती है। सड़क से महत महज 20 मीटर की दूरी में ही तेन्दुआ कई बार देखा गया है। इसी मार्ग से लोग रोजाना सुबह शाम लोग पैदल ही टहलने आवाजाही करते हैं। मणिकंचन केन्द्र में नपा की महिलाए सुबह 6 बजे से काम में जुट जाती है। वहीं पीछे खेत में ही खेतिहर काम के लिए लोगों का आना जाना लगा रहता है। जिसके चलते लोगो में तेन्दुआ का डर बना हुआ है। घटना भी हो सकती है।
तेन्दुए को पकडऩ के लिए वन विभाग ने एक पिंजरा मणिकंचन केन्द्र के पास, दूसरा कब्रिस्तान और तीसरा पीछे के खेत के पास लगाया गया है। रात में शोरगुल थमते ही तेन्दुआ को पकडऩे की कोशिश की जाएगी। रात होते ही पिंजरे में बकरी रखी जाएगी, ताकि तेंदुआ (Tendua ) जब शिकार के लिए पिंजरे में प्रवेश करेगा तो उसी में बंद हो जाएगा। बकरी को पिंजरे के दूसरे भाग में रखा जाएगा, ताकि बकरी सही सलामत रहेगी। इसके साथ ही दोनों पिंजरो में नजर रखने वन विभाग की टीम भी तैनात की जाएगी।