Friday, November 22, 2024

हमदर्द कहने वाले जिले के तानाशाह नेता, बेटे को जान से मार डालने का डर दिखाकर मंत्री जयसिंह ने धोखे से करा ली ज़मीन की रजिस्ट्री, चुईया के आदिवासी ने कैमरे के सामने बताया अपना दर्द

 

ads1

 

कोरबा। अगर यह कहें कि खुद को आदिवासियों का हमदर्द कहने वाले जिले के तानाशाह नेता, मंत्री और कोरबा विधायक जयसिंह अग्रवाल सिर्फ कब्जा माफिया ही नहीं, बल्कि गुंडों के सरदार हैं, तो गलत न होगा। आदिवासी किसान के आरोप से तो ऐसा ही लगता है। उन्होंने कुछ किया ही ऐसा है। दूसरी ओर अपने हक के लिए एक ग्रामीण गलत के खिलाफ मजबूती से डटे रहकर अकेला मुकाबला कर रहा है, पर उसे न्याय दिलाने वाला कोई नहीं। आरोप है कि मंत्री जयसिंह ने आज से 7 साल पहले उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया। कब्जे को लेकर उसकी शिकवा शिकायत का दौर चल ही रहा था कि 11 माह पहले उसके बेटे को मार डालने का डर दिखाकर जमीन अपने भरोसेमंद के नाम करवा ली। अपनी ही जमीन को वापस हासिल करने यह आदिवासी ग्रामीण कभी कलेक्टर, एसपी तो कभी न्यायालय के दरवाजे पर एड़ियां रगड़ने विवश है, पर न केवल उसे न्याय से दूर किया जा रहा, कानूनी नियम-कायदों पर मंत्री का रुतबा भारी पड़ता दिख रहा है। डर और धमकियों से उसकी हिम्मत को तोड़ने की भी कोशिशें लगातार की जा रही हैं। उसने कलेक्टर जनदर्शन में भी न्याय की गुहार लगाई थी, पुलिस अधीक्षक के दरवाजे भी खटखटाए, पर चार माह गुजर जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीण ने सोमवार को कलेक्टोरेट में पुनः स्मरण पत्र प्रस्तुत कर न्याय मांगा है।

 

प्रदेश के राजस्व मंत्री, कोरबा विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल के खिलाफ यह शिकायत ग्राम चुईया निवासी दुखलाल कंवर पिता स्वर्गीय इंजोर सिंह कंवर ने की है। दुखु लाल ने पूर्व में नोटरी के माध्यम से शपथ पत्र के साथ जनदर्शन में भी शिकायत की थी।

 

ताजा स्मरण पत्र में दुखुलाल ने लिखा है कि तहसील व जिला कोरबा के ग्राम चुईया में उसकी खसरा नंबर 214 रकबा 0.45 एकड़ जमीन है। जिसे कोरबा शहर के विधायक व वर्तमान में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल द्वारा 2016 से पूर्व से कब्जा कर रखा गया है। तब से ग्रामीण अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहा है पर प्रशासन की देरी से न्याय दम तोड रहा है।

 

 

कोर्ट ने भी पूर्व में इस मामले की सुनवाई करते हुए जयसिंह समेत 5 लोगों पर अपराध दर्ज करने के आदेश दिए थे। बालको पुलिस ने उनके खिलाफ धारा 156 ( 3 ) सहपठित घारा 193 द.प्र. स. सहपठित धारा 14 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एफआईआर भी दर्ज किया था। दीपावली के दूसरे ही दिन 13 नवंबर को पुनः लिखित शिकायत उसने कोरबा कलेक्टर से करते हुए समरण कराया और न्याय की गुहार लगाई है। ग्रामीण द्वारा पूर्व में दर्ज कराई गई शिकायत की जांच भी हुई, जो सही भी पाई गई थी। इसमें एफआईआर के बाद दुखुलाल ने न्यायालय विशेष न्यायाधीश (एट्रोसिटी) कोरबा जिला कोरबा की शरण लेते हुए परीवादपत्र के माध्यम से केस लगाया था। केस की सुनवाई करते हुए न्यायालय के आदेश पर जयसिंह अग्रवाल व उनके चार सहयोगियों के खिलाफ अपराध दर्ज कराया गया था। इनमें जयसिंह अग्रवाल के अलावा सुरेंद्र जयसवाल पुत्र स्व. कृष्ण लाल जयसवाल निवासी गांधी चौक पुरानी बस्ती, भोला सोनी, पिता स्व. शरण कुमार सोनी निवासी गांधी चौक गली पुरानी बस्ती, विजय सिंह, निवासी महाराणा प्रताप नगर, दर्शन मानिकपुरी, निवासी नीम चौक पुरानी बस्ती शामिल हैं। इन पर थाना बालको में एफआईआर भी दर्ज किया गया था। इसके बाद जयसिंह अग्रवाल हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक का आदेश ले आए और इस बीच विधायक जयसिंह अग्रवाल मंत्री बन गए। तब से उनके लोग दुखू लाल और उसके परिवार को डराते धमकाते रहे। दुखुलाल ने कहा कि उनका स्वास्थ्य बहुत खराब रहने लगा। उसका पूरा परिवार खुद की जमीन होते हुए भी दूसरों के यहां रोजी मजदूरी करने मजबूर हो गया। शिकायतकर्ता ने यह भी लिखा है कि करीब 11 माह पूर्व गांव के दो लोगों में शिक्षक हेमन्त शर्मा व मनोहर यादव ने उसका इलाज कोरबा के एक अस्पताल ले जाने के बहाने साथ लेकर कोरबा आए और अस्पताल की बजाय उप पंजीयक कार्यालय ले गए। उसके साथ दुखुलाल के पुत्र तिलक कंवर भी था, जिसे उन्होंने शराब पिलाई और अपनी कार में बैठाकर रखा। दुखुलाल को 5-6 लोग अकेले लेकर रजिस्ट्रार कार्यालय के पीछे गए और कहा कि तुम बहुत होशियारी कर रहे हो, मंत्री जयसिंह अग्रवाल के विरुद्ध केस किया पर क्या बिगाड़ लिया। उन्होंने धमकाते हुए यह भी कहा कि चुपचाप उनकी बात मान जाओ और जमीन की रजिस्ट्री कर दो। नहीं तो अपने पुत्र से भी हाथ धो बैठोगे। इस तरह जबरन दुखुलाल को पैसों की गड्डी पकड़ाते हुए रजिस्ट्रार कार्यालय के अंदर ले गए। उन लोगों ने उसे डरा धमकाकर और पुत्र को जान से मार डालने की धमकी देकर उसकी मर्जी के खिलाफ 0.45 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करा ली। बदले में उसे चार लाख रूपये भी दिए गए। यह शिकायत सोमवार को कलेक्टर से करते हुए अपनी उस जमीन को वापस दिलाए जाने और इस अपराध में शामिल सभी लोगों के खिलाफ उचित कार्यवाही की मांग की है।

 

हराम के पैसों को रखा है संभाल कर

 

बेटे की जान का डर दिखाकर कराई गई ज़मीन रजिस्ट्री से दुःखी किसान काफी भयभीत है, वो अब भी उन 4 लाख रुपयों को संभाल कर रखा हुआ है जो उसको मंत्री के नुमाइंदों ने दे रखे थे। वो कहते है भले भूख मरने की नौबत आ जाय लेकिन हराम के पैसों को हाथ नहीं लगाऊंगा !

 

न्याय दम तोड़ रहा, शासन-प्रशासन ही नहीं आदिवासी समुदाय भी चुप

 

अन्याय के विरुद्ध मुकाबले के लिए मैदान में खड़ा एक आदिवासी और बुजुर्ग ग्रामीण अकेला खड़ा है। न्याय दम तोड़ रहा है और खादी का सफेद चोला पहने खुद को लोगों का जनप्रतिनिधि कहने वाला अन्याय कर रहा है। ताज्जुब तो यह है कि एक मंत्री के पावर और रुतबे के छद्म में कैद होकर पुलिस-प्रशासन तो चुप है ही, खुद आदिवासी समुदाय भी अपने समाज एक सताए हुए आदिवासी परिवार का साथ देने तैयार नहीं। मूक दर्शक बने बस हर कोई उसकी हिम्मत टूटने की राह देख रहा है। इस मामले पर तो आदिवासी वर्ग की वकालत का डंका पीटने वाली छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री ही नहीं, सर्व आदिवासी समाज को भी स्वत संज्ञान लेते हुए दुखुलाल और उसके परिवार का साथ देना चाहिए, ताकि न्याय की जीत हो सके।

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

Most Popular