Hathras Stampede Case : एक कहावत है कि हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य. हाथरस में 121 मौतों के जिम्मेदार बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा उर्फ सूरजपाल सिंह जाटव (Narayan Sakar Hari) का भी एक अतीत है. उसके अतीत में ऐसी काली कहानियां छुपी हैं, जिन्हें सुनने और जानने के बाद ये हैरानी होती है कि आखिर यूपी पुलिस का एक मामूली सा कांस्टेबल अचानक एक रोज इतना बड़ा और महा प्रतापी बाबा कैसे बन गया?
दरअसल, सूरजपाल सिंह जाटव (Narayan Sakar Hari) कभी यूपी पुलिस का एक सिपाही हुआ करता था. इस दौरान लंबे समय तक उसकी पोस्टिंग लोकल इंटेलिजेंस यूनिट यानी एलआईयू में रही. लेकिन नौकरी के दौरान ही उस पर यौन शोषण का आरोप लगा और उसको गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद उसे जेल जाना पड़ा और इसी जेल यात्रा के चलते उसकी पुलिस की नौकरी भी चली गई. लेकिन जेल में रहते हुए न जाने कौन सा ज्ञान मिला कि बाबा बन गया.
जेल से बाहर आकर यौन शोषण के आरोपी पुलिस वाले से सीधे सत्संग करने और उपदेश देने वाला संत बन बैठा. इसके भजन प्रवचन की शुरुआत पहले इसके घर से हुई. फिर देखते ही देखते इसके चाहने वालों की भीड़ बढ़ने लगी और तब घर से निकल कर सत्संग का सिलसिला अड़ोस-पड़ोस में, फिर खुली जगहों में, पंडालों में और अलग-अलग राज्यों में शुरू हो गया. बाबा अपने सत्संगो में अपनी नौकरी जाने की बात कभी नहीं कहता.
वो ये बताता कि भगवान के दर्शन होने के बाद उसने खुद ही पुलिस की नौकरी से वॉलेंटियरली रिटायरमेंट ले लिया है. ऐसा नहीं है कि भोले बाबा के नाम से मशहूर सूरजपाल सिंह जाटव पर सिर्फ यौन शोषण का एक एफआईआर ही दर्ज हुआ था, बल्कि सच्चाई तो ये है कि उसके ऊपर अब तक पांच मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. इनमें 1-1 केस उत्तर प्रदेश के आगरा, इटावा, कासगंज, फर्रुखाबाद और राजस्थान के दौसा में दर्ज हुआ है.
बाबा को जानने वाले बताते हैं कि जेल से बाहर आने के बाद उसने लोगों ये से कहना शुरू कर दिया कि उसे भगवान का साक्षात्कार हो गया है. उसके आशीर्वाद से लोगों के दुख दूर हो सकते हैं. लेकिन वो दूसरे बाबाओं की तरह भगवा वस्त्र नहीं पहनता था और ना ही उनकी तरह बाल और दाढ़ी रखता, बल्कि इसके उलट वो हमेशा सफेद सूट में ही नजर आता और शायद यही उसकी एक यूएसपी यानी यूनिक सेलिंग प्वाइंट भी बन गई.
इसके बाद बाबा (Narayan Sakar Hari) ने लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने की शुरुआत कर दी. उसके चाहने वालों में गरीब और कम पढ़े लिखे लोगों की तादाद ही ज्यादा है. उन दिनों बाबा के घर के बार एक हैंडपंप हुआ करता था. बाबा ने उसके पानी को चमत्कारिक बताना शुरू कर दिया और लोग उसी हैंडपंप का पानी पीने के लिए दूर-दूर से आने लगे. इसके बाद बाबा ने जहां-जहां आश्रम बनाये या जहां-जहां भी उसका ठिकाना होता, वहां हैंडपंप जरूर लगा लेता.
भक्त हैंडपंप का पानी पीकर खुद को धन्य समझने लगते. बाबा को जानने वाले एक शख्स पंकज ने बाबा से जुड़ा एक वाकया बताया. उनका कहना है कि भोले बाबा उर्फ सूरजपाल सिंह जाटव की अपनी कोई संतान नहीं है. उसने अपनी भतीजी को गोद ले लिया था. कुछ समय बाद उसे कैंसर होने की बात सामने आई. एक बार जब बाबा सत्संग से लौट कर आए, तब तक उनकी गोद ली हुई भतीजी की मौत हो चुकी थी.
तब बाबा के अनुयायी उनकी बेटी का अंतिम संस्कार नहीं करने देना चाहते थे. क्योंकि उन्हें यकीन था कि बाबा अपने चमत्कार से अपनी बेटी को ठीक कर देंगे. बल्कि कुछ तो दावा कर रहे थे कि बाबा ने अपनी बेटी को ठीक कर भी दिया है. इसके बाद वहां हंगामा शुरू हो गया. आखिरकार कहानी में पुलिस की एंट्री हुई और अनुयायियों पर लाठी चार्ज कर बाबा को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि बाद में इस मामले में बाबा बरी हो गया.
58 वर्षीय सूरजपाल सिंह जाटव कासगंज जिले के बहादुर नगर गांव के एक दलित परिवार से है, जो हाथरस से लगभग 65 किलोमीटर दूर है. इस गांव की प्रधान नाजिस खानम के पति जफर अली ने बताया, “वो शादीशुदा हैं. उनके कोई बच्चे नहीं हैं. पुलिस बल छोड़ने के बाद उन्होंने अपना नाम भोले बाबा रख लिया था, जबकि उनकी पत्नी को माताश्री के नाम से जाना जाता है. उनका परिवार संपन्न था. वो तीन भाइयों में दूसरे नंबर के हैं.”
प्रधानपति ने मीडिया से चर्चा करते हुए आगे बताया कि उनके बड़े भाई की कुछ साल पहले मौत हो गई थी, जबकि उनके छोटे भाई राकेश, जो एक किसान हैं, अभी भी अपने परिवार के साथ गांव में रहते हैं. उन्होंने गांव में अपनी 30 बीघा जमीन पर आश्रम बनवाया है. दूसरे जिलों और यहां तक कि राज्यों से भी लोग उनका आशीर्वाद लेने आश्रम आते हैं. उन्हें आश्रम में रहने की सुविधा भी दी जाती है. अपने खिलाफ़ किसी साजिश के संदेह में उन्होंने गांव छोड़ दिया था.
बाबा अपने गांव से निकल कर पहले आगरा के केदारनगर में रहते थे. वहां बाबा के पड़ोसियों का अपना अलग ही दर्द है. उनका कहना है कि बाबा अब अपने पुराने मकान में नहीं आते. यहां आए हुए उन्हें 15 साल हो चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद बाबा के भक्त उनके पुराने मकान में हाजिरी लगाते हैं. भक्तों की भीड़ से अक्सर उनके घर के पास की गली बंद हो जाती है. कई बार प्रोग्राम के बाद पड़ोसियों की बाइक और दूसरी छोटी-मोटी चीजें चोरी चली जाती हैं
हालांकि केदार नगर का ये घर हर हफ्ते दो दिन सिर्फ कुछ ही घंटों के लिए खुलता है. घर खोलने के लिए बाबा के लोग आते हैं. मंगलवार और शनिवार को यहां सिर्फ बाबा के घर के दर्शन करने के लिए उनकी चौखट को चूमने के लिए बड़ी तादाद में दूर दराज से महिलाएं यहां आती हैं. उनके गांव वाले बताते हैं कि बाबा की पत्नी का नाम कटोरी देवी है. लेकिन उनके साथ सत्संग में सिंहासन में उनके बगल में बैठने वाली महिला उनकी पत्नी नहीं, बल्कि मामी हैं.
बाबा (Narayan Sakar Hari) के रिश्ते अपने भाई के साथ ही ठीक नहीं हैं. इसलिए वो अब अपने गांव भी नहीं जाता. फिलहाल उनके भक्त उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी मौजूद हैं. जो सत्संग में आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. फिलहाल हाथरस वाले हादसे के बाद एफआईआर तो दर्ज हो गई है, लेकिन एफआईआर में बाबा का नाम नहीं है. एफआईआर में नाम न होने के बावजूद हादसे के बाद से बाबा फरार यानी गायब हैं.