TIGER TRAPPED IN CAGE KASDOL : बलौदाबाजार भाटापारा जिले के बारनवापारा अभयारण्य से भटककर बाघ मंगलवार को कलडोल आ पहुंचा। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। रायपुर से भी वन विभाग के अफसर गांव पहुंचे। लगभग नौ घंटे के कड़ी मशक्कत के बाद कसडोल नगर के पारस नगर के पास स्थित एक पेट्रोल पंप के पास बाघ को रेस्क्यू (Kasdol Tiger Cage) किया गया। टाइगर को इलाज के लिए रायपुर ले जाया गया है। बारनवापारा अभयारण्य में बाघ पिछले आठ माह से भ्रमण कर रहा था।
सोमवार को लवन विकासखंड के ग्राम कोरदा के खेतों में किसानों ने देखा था। इसके बाद से ही वन विभाग की टीम बाघ पर निगरानी रख रही थी। वहीं 26 नवंबर की सुबह कसडोल विकासखंड मुख्यालय से लगभग दो किमी दूर स्थित ग्राम कोट (क) में आशीष कुमार यादव ने विनोद की बाड़ी में चहलकदमी करते हुए सुबह आठ बजे देखा। ग्रामीण बाघ से लगभग पांच मीटर की दूरी पर ही पहुंच गया था, सामने बाघ को देखा तो बदहवासी में समीप ही बने शौचालय में युवक छुपकर अपनी जान बचाई।
इसके बाद बाघ गोरधा होते हुए कसडोल के पारस नगर सेक्टर दो में पहुंच गया। बाघ को ग्राम कोट में देखने की सूचना मिलते ही वन विभाग एवं वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी कानन पेंडारी चिड़ियाघर बिलासपुर डा पीके चंदन वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी नंदन वन जू एवं जंगल सफारी नवा रायपुर डा राकेश वर्मा तथा डा रश्मिलता राकेश पशु चिकित्सा अधिकारी कसडोल के टीम द्वारा तत्काल ग्राम कोट पहुंच कर ग्रामीण धीराजी पिता रविशंकर के बाड़ी में रखे पैरा के ढेर में छुपे बाघ को रेस्क्यू करने का प्रयास किया गया, लेकिन सफल नहीं हुए।
इसके बाद बाघ ग्राम कोट से निकल कर कसडोल के पारस नगर स्थित एक पेट्रोल पंप के पीछे की तरफ आ गया। यहां दोबारा ट्रैंकुलाइज (बेहोश) करने का प्रयास किया गया और बाघ को बेहोश करने में सफल हुए। इसके बाद परीक्षण के लिए तत्काल रक्त का नमूना लिया गया। इस अभियान के दौरान बाघ को किसी भी प्रकार की शारीरिक चोट नहीं पहुंची। पशु चिकित्सक अनुसार बाघ स्वस्थ अवस्था में चिकित्सकों की निगरानी में है।
ड्रोन की मदद रखी जा रही थी नजर (Kasdol Tiger Cage)
मंगलवार को सुबह पता चला कि बाग कसडोल नगर के आसपास कोट गांव में जा पहुंचा है। गांव के ही कुछ लोगों द्वारा बाघ को देखा गया जिसके बाद वन विभाग की टीम वहां पर पहुंची और ड्रोन की मदद से बाघ पर नजर रखी जा रही थी। वन विभाग द्वारा पिंजरा भी लाया गया था। इसके बाद बाघ पिंजरे में नहीं पकड़ा जा सका और ड्रोन कैमरे की मदद से बाघ की मूवमेंट देखी जा रही थी। जिसके बाद बाग कसडोल नगर के पारस नगर में जा पहुंचा और आसपास बाघ अपने मूवमेंट कर रहा था, हालांकि वन विभाग की नौ घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बाघ को पिंजरे में कैद कर लिया गया।
बाघ को देखने के लिए उमड़ी भीड़ (Kasdol Tiger Cage)
जंगल से भटक कर शहर के पास पहुंचे बाघ को देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। वन विभाग और पुलिस विभाग की टीम भीड़ को व्यवस्थित करने में लगी रही। हालांकि रेस्क्यू टीम ग्रामीणों को उक्त स्थल तक पहुंचने के लिए घेराबंदी कर रखा था। बाघ के शहर में पहुंचने की जानकारी मिलते ही लोगों में दहशत का माहौल था। लोग अपने घरों के दरवाजा बंद करने लगे। वहीं नगर के स्कूलों के दरवाजे बंद भी करा दी गई थी। लेकिन अंत में बाघ के पकड़े जाने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली। वन विभाग स्वच्छंद घूम रहे बाघ को लंबे समय से पकड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन सफल नहीं हो पा रही थी। आठ महीने बाद जाकर अब सफलता मिली है। बाघ के पकड़े जाने के बाद लोगों के साथ साथ वन विभाग ने भी राहत की सांस ली है।
निगरानी के लिए लगाई कालर आइडी
बाघ की मानिटरिंग के लिए रेडियो कालर लगाकर रिवाइवल किया गया है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघ का उपचार रायपुर में किया जाएगा, और उसकी निगरानी के लिए कालर आइडी लगा दी गई है। इसके बाद बाघ को ऐसे जंगल में छोड़ा जाएगा, जहां उसे गलियारे मिल सकें और वह अपनी स्वाभाविक जीवनशैली को अपना सके। इस घटना से स्थानीय ग्रामीणों में राहत की लहर है, जो बाघ की उपस्थिति से लगातार डर रहे थे।