Cabinet Meeting : नए साल के पहले दिन, केंद्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (DAP Rates) को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दी गई, जिसके लिए कुल 69,515.71 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया।
कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि किसानों को 50 किलो DAP का एक बैग 1350 रुपए (DAP Rates) में उपलब्ध रहेगा। सरकार ने DAP पर 3850 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमतों के मद्देनजर उठाया गया है, ताकि किसानों पर इन बढ़ती कीमतों का प्रभाव न पड़े।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक ब्रीफिंग में बताया कि कैबिनेट ने किसानों को किफायती दामों पर डीएपी (DAP Rates) की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 01 जनवरी 2025 से 31 दिसंबर 2025 तक एनबीएस सब्सिडी के अतिरिक्त DAP पर एक विशेष पैकेज के विस्तार को मंजूरी दी है। इस निर्णय से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को 50 किलोग्राम के बैग के लिए 1,350 रुपये प्रति बैग की दर पर DAP उर्वरक प्राप्त होता रहेगा।
वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री ने 2025 की पहली कैबिनेट बैठक को किसानों के प्रति समर्पित किया है। इस बैठक में किसानों से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई, और आज के निर्णय पूरी तरह से किसानों के कल्याण पर केंद्रित हैं।
उन्होंने कहा कि आज का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ का विस्तार करना था, जिससे किसानों के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए हैं। इस योजना का आवंटन बढ़ाकर 69,515 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो किसानों के जीवन में आए वास्तविक बदलावों को देखते हुए किया गया है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पीएम फसल बीमा योजना के तहत तेज़ मूल्यांकन, त्वरित क्लेम निपटान, नवाचार और प्रौद्योगिकी के लिए 800 करोड़ रुपये का कोष स्थापित करने की जानकारी दी। कवरेज को बढ़ाने और नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे पूरी तरह से डिजिटल बनाने का निर्णय लिया है।
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 2014 से पीएम मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि किसान बाजार के उतार-चढ़ाव का सामना न करें। 2014 से 2024 तक उर्वरक सब्सिडी 11.9 लाख करोड़ रुपये रही, जो 2004 से 2014 के बीच दी गई सब्सिडी से दोगुनी से अधिक है।