Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ के भिलाई (Black Winged Stilt) में प्रकृति प्रेमियों और पक्षीविदों के लिए खुशी की खबर है। हाल ही में यहां के जलाशयों में दुर्लभ प्रवासी पक्षी ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट (Himantopus himantopus) की चहचहाहट गूंज रही है।
लंबे गुलाबी पैरों और काले-सफेद पंखों वाले ये आकर्षक पक्षी (Black Winged Stilt) आमतौर पर उथले पानी वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। भिलाई के जलाशय और आसपास के वेटलैंड प्रवासी पक्षियों के लिए उपयुक्त ठिकाना बनते जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र पक्षियों के लिए सुरक्षित पर्यावास प्रदान करता है। ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट (Black Winged Stilt) मुख्य रूप से कीड़े-मकोड़ों, मछलियों, और अन्य जलीय जीवों का शिकार करते हैं। इन पक्षियों का यहां दिखना इस क्षेत्र की पर्यावरणीय गुणवत्ता को दर्शाता है।
पक्षी प्रेमियों की उमड़ी भीड़ (Black Winged Stilt)
प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेने के लिए स्थानीय लोग और पक्षी प्रेमी बड़ी संख्या में जलाशयों के पास पहुंच रहे हैं। फोटोग्राफी के शौकीन इन पक्षियों के सुंदर पलों को कैमरे में कैद कर रहे हैं। स्थानीय निवासी बताते हैं कि यह पहली बार नहीं है जब भिलाई में ऐसे प्रवासी पक्षियों का आगमन हुआ हो, लेकिन इस बार उनकी संख्या ने सबका ध्यान खींचा है।
संरक्षण की आवश्यकता (Black Winged Stilt)
पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र की जैव विविधता को बनाए रखने के लिए वेटलैंड्स और जलाशयों का संरक्षण आवश्यक है। प्रवासी पक्षियों के आगमन से पर्यावरण संतुलन और पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में मदद मिलती है।
भिलाई में ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि यह क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय बनता जा रहा है। यह घटना न केवल स्थानीय जैव विविधता का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित करती है।
अक्टूबर के पहले सप्ताह में शुरु हो गया था आना (Black Winged Stilt)
ब्लैक विग्ड स्टिल्ट (हिमंटोपस), जो कि विलुप्ति के कगार पर है, अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप के कई क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पक्षी अब टाउनशिप की हरियाली में भी नजर आ रहा है। सेक्टर-6, सांई मंदिर के पीछे के नाले के किनारे इन सुंदर पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही है। अक्टूबर के पहले सप्ताह से इनका आगमन शुरू हुआ था, और अब यहां सैकड़ों की संख्या में देखे जा सकते हैं।

जैसे ही गर्मी शुरू होगी, ये मेहमान मार्च के अंत में शहर को छोड़ देंगे। आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) की रेड लिस्ट में शामिल इस पक्षी की तेज आवाज, जो सोटी जैसी होती है, इसकी पहचान है। इसे हिंदी में टिन्घुर, लमगोड, गजपाँव आदि नामों से जाना जाता है, और यह एडवोकेट और स्टिल्ट परिवार का सदस्य है।