Monday, March 10, 2025
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Majduron Ke Khate Me Paise : खुशखुबरी…36 हजार लोगों के खाते में आएंगे 40.32 करोड़ रुपये

Chhattisgarh News : पीडब्लूडी के 40 करोड़ 32 लाख 93 हजार 40 रुपए (Majduron Ke Khate Me Paise) को ईपीएफ रीजनल ऑफिस ने सीज कर दिया है। यह राशि श्रमायुक्त दर पर काम करने वाले श्रमिकों के ईपीएफ खातों में जमा की जानी है। इसके लिए इन श्रमिकों की सूची ईएनसी से मांगी गई है।

श्रम विभाग (Majduron Ke Khate Me Paise) ने नए बजट में इस मद के लिए 60 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया है। चिंता की बात यह है कि सरकार श्रमायुक्त दर पर काम करने वाले श्रमिकों को नियमित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, जबकि विभाग के अधिकारी इसके खिलाफ हैं और ठेके पर काम जारी रखने के लिए सर्कुलर जारी कर रहे हैं।

रायपुर के रीजनल ईपीएफ कार्यालय ने अप्रैल 2015 से मार्च 2021 तक के ईपीएफ का मूल्यांकन कर 40.32 करोड़ रुपए पीडब्लूडी के खजाने से काट लिए हैं। इसके अलावा, फरवरी 2021 से दिसंबर 2024 तक के ईपीएफ की राशि भी जल्द ही सीज की जा सकती है, जिसका अनुमान 60-70 करोड़ रुपए के बीच है।

सरकार ने नए बजट में पहले से ही 60 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, जिसका अर्थ है कि वह भविष्य में श्रमायुक्त दर पर काम करने वाले मजदूरों को नियमित कर सकती है। इस श्रेणी में लगभग 6442 मजदूर कार्यरत हैं। ईपीएफ कमिश्नर ने इन मजदूरों से आधार, बैंक खाता नंबर, पैन नंबर, मोबाइल नंबर, ई-नॉमिनेशन और फार्म 5ए की जानकारी मांगी है।

श्रमिकों (Majduron Ke Khate Me Paise) ने नियमितीकरण की मांग को लेकर वर्षों से आंदोलन किया है, और कुछ मामले अदालत में भी लंबित हैं। भूपेश बघेल सरकार ने शिक्षा कर्मियों के समान कई विभागों के कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए एक अभियान शुरू किया था, लेकिन इसमें तकनीकी बाधाएं आईं।

इस कारण अनियमित मजदूरों को 4,000 रुपए का पारितोषिक देने की योजना शुरू की गई। साय सरकार ने इस योजना को जारी रखते हुए नए बजट में इसके लिए 30 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

2016 में ढांड ने दिए थे ईपीएफ काटने के निर्देश (Majduron Ke Khate Me Paise)

2016 में ढांड ने ईपीएफ कटौती के लिए निर्देश जारी किए थे। पिछले नौ साल से मजदूरों की ईपीएफ कटौती पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।

22 नवंबर 2016 को तत्कालीन मुख्य सचिव विवेक ढांड ने एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि दैनिक और मासिक श्रमिकों को अस्थायी रूप से आवश्यकतानुसार रखा जाएगा। इससे भविष्य में लगभग 36 हजार (Majduron Ke Khate Me Paise) कर्मियों को लाभ मिल सकता है।

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