Tuesday, February 4, 2025
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Election Relative Of Politician : परिवारवाद का दुखड़ा रोने वाली बीजेपी में मुख्यमंत्री के समधी समेत इतने रिश्तेदार लड़ रहे चुनाव!

Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Election Relative Of Politician) एक साथ हो रहे हैं, और इस बार चुनावी मैदान में बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के बड़े नेताओं के रिश्तेदार भी सक्रिय हैं।

दिलचस्प यह है कि बीजेपी ने हमेशा परिवारवाद के खिलाफ आवाज उठाई है, लेकिन अब पार्टी के भीतर ही परिवारवाद का नया उदाहरण देखने को मिल रहा है।

बीजेपी में परिवारवाद का खेल (Election Relative Of Politician)

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के समधी, श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन के भाई, स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी की बहू, और दो पूर्व बीजेपी मंत्रियों के रिश्तेदार चुनावी मैदान में हैं।

इनमें से कोरबा में श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन के भाई नरेंद्र ने निर्विरोध पार्षद पद का चुनाव जीत लिया है, वहीं स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी की बहू चंपा जायसवाल नगर पंचायत झगराखांड से अध्यक्ष पद के लिए मैदान में हैं। चंपा जायसवाल, श्यामबिहारी के भांजे पार्षद उमेश जायसवाल की पत्नी हैं।

इसके अलावा, धमतरी जिला पंचायत सदस्य के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के समधी टीकाराम कंवर भी चुनाव लड़ रहे हैं। कुल मिलाकर, बीजेपी के तीन विधायक परिवार के सदस्य चुनावी मैदान में हैं, जिनमें से एक की बहू और एक के समधी भी शामिल हैं। यह परिवारवाद की साफ मिसाल पेश करता है, जिसे बीजेपी हमेशा नकारती रही है।

कांग्रेस में भी परिवारवाद (Election Relative Of Politician)

कांग्रेस में भी परिवारवाद का चलन कुछ अलग नहीं है। कांग्रेस विधायक की पत्नी, एक पूर्व महापौर की पत्नी और मेयर के पति को भी चुनावी टिकट मिला है। भरतपुर-सोनहत की बीजेपी विधायक और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह की बेटी मोनिका सिंह भी सूरजपुर जिला पंचायत क्षेत्र-15 से नामांकन दाखिल कर चुकी हैं।

हालांकि, बीजेपी ने इस सीट से वेद प्रकाश सिंह को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है, और मोनिका का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी के साथ-साथ बीजेपी के ही उम्मीदवार से भी होगा।

इसके अलावा, पूर्व मंत्री रामसेवक पैकरा की पत्नी शशि पैकरा और बेटे लवकेश पैकरा भी सूरजपुर जिला पंचायत के विभिन्न क्षेत्रों से चुनावी मैदान में हैं। शशि पैकरा पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं और भाजपा ने उन्हें समर्थित प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा है।

मंत्री रामविचार नेताम का परिवार चुनाव से बाहर

हालांकि, इस बार कृषि मंत्री रामविचार नेताम का परिवार पंचायत चुनाव से बाहर है। उनकी पत्नी पुष्पा नेताम, जो पहले सरगुजा और बाद में बलरामपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी थीं और उनकी बेटी निशा नेताम, जिन्होंने पहले जिला पंचायत की अध्यक्ष का पद संभाला था।

इस बार चुनावी दंगल से दूर हैं। यह माना जा रहा है कि परिवारवाद के आरोपों के मद्देनजर, इस बार नेताम परिवार ने खुद को चुनावी राजनीति से बाहर रखा है।

परिवारवाद का आरोप और चुनावी रण

बीजेपी के नेताओं के परिवारजनों के चुनावी मैदान (Election Relative Of Politician) में उतरे होने के बावजूद, पार्टी परिवारवाद के खिलाफ अपना रुख अपनाती रही है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या बीजेपी वाकई परिवारवाद के खिलाफ है, या यह केवल चुनावी हथकंडा है?

वहीं, कांग्रेस भी अपने नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट देकर इस विवाद में शामिल हो गई है। इस बार के चुनावों में परिवारवाद का खेल तो साफ दिखाई दे रहा है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस तरह से इसे लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करती है।

राजनीति में परिवारवाद का असर बरकरार

छत्तीसगढ़ में इस चुनावी दंगल (Election Relative Of Politician) में जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने परिवारवाद के आरोपों का सामना किया है, वहीं दोनों दलों के रिश्तेदारों का चुनावी मैदान में उतरना इस बात को साबित करता है कि राजनीति में परिवारवाद का असर अभी भी बरकरार है। अब यह देखना होगा कि यह परिवारवाद चुनावों में कितना प्रभावी साबित होता है, और जनता इसे किस नजरिए से देखती है।

 

 

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