छत्तीसगढ़

Janjati Suraksha Manch : जनजाति सुरक्षा मंच की हुई बैठक, महत्वपूर्ण विषयों पर हुई चर्चा

Raipur News : प्रदेश की राजधानी में स्थित श्री रामनाथ भीमसेन सभा भवन समता कॉलोनी, रायपुर में जनजाति सुरक्षा मंच (Janjati Suraksha Manch) की केंद्रीय टोली की दो दिवसीय (23-24 सितम्बर 2023) बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में हुई चर्चा व कार्यवाही के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए आज रविवार को प्रेसवार्ता आयोजित हुई जिसमें जनजाति सुरक्षा मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक डॉ. राजकिशोर हंसदा ने प्रेस से चर्चा की।

उन्होंने बताया कि, जनजाति सुरक्षा मंच (Janjati Suraksha Manch) धर्मांतरित व्यक्ति को अनुसूचित जनजाति सूची से हटाए जाने के लिए देशभर में 2006 से लगातार आन्दोलनरत है। यह मंच अब तक 221 जिलों में जिला रैली एवं 8 राज्यों में प्रांत स्तर की रैलियों का आयोजन कर चुका है। इन रैलियों में लगभग 50 हजार ग्रामों में संपर्क किया गया एवं इन रैलियों में करीब 7 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी रही है, जिसमें सभी आयु वर्ग, हित समूह की उपस्थिति रहीं।

ऐसी ही एक राज्य स्तरीय रैली रायपुर में भी 16 अप्रैल, 2023 को संपन्न हुई है। कुछ अन्य राज्यों में भी आगामी दिनों में प्रांत स्तरीय रैलियां होनी है।

उक्त रैलियों का एक ही लक्ष्य है- संविधान के अनुच्छेद 342 में अनुच्छेद 341 की भांति प्रावधान किए जाएं अर्थात् अनुसूचित जातियों की तर्ज पर अनुसूचित जनजातियों के लिए संवैधानिक प्रावधान करना है। इस मांग के तहत मूल धर्म, संस्कृति, परंपरा और रूढ़ि व्यवस्था छोड़कर ईसाई या इस्लाम मजहब में धर्मांतरित व्यक्तियों को एस.टी. सूची से बाहर किया जाए। यह आंदोलन डीलिस्टिंग आंदोलन कहलाता है, और इसके लिए आयोजित रैलियां डीलिस्टिंग रैलियां कही जाती है।

जनजाति सुरक्षा मंच (Janjati Suraksha Manch) की रायपुर में आयोजित इस राष्ट्रीय टोली की समीक्षा बैठक में अब तक की प्रगति एवं आगामी योजना पर चर्चा की गई। जिसमें 4 प्रमुख विषय रहे हैं –

1. जो धर्मांतरित व्यक्ति है, वह अनुसूचित जनजाति की परिभाषा में अवैध है। जानकारी में आया है कि विधानसभा के लिए ST हेतु आरक्षित सीट से धर्मांतरित व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इसका हम विरोध करते हैं।

क्योंकि धर्मांतरित व्यक्ति, जनजातियों की मूल रूढी, रीति, परम्पराओं को छोड़ कर किसी अन्य रिलीजन या मजहब में चला जाता है। ऐसा व्यक्ति, भारत सरकार के स्थापित मापदंड और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का कहीं भी पालन नहीं करता है। ये मानक मुख्यतः मूल संस्कृति और पुरखों के जीवन मूल्यों में देख सकते है।

2. आगामी दिसंबर- 2023 तक शेष राज्यों में भी प्रांत स्तर की रैलियों का आयोजन यह मंच करेगा जिसमें महाराष्ट्र, झारखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, त्रिपुरा व पश्चिम बंगाल मुख्य हैं। इन रैलियों में जनजाति समाज के साथ ही साथ इस समाज के हितेषी संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा।

3. बैठक में डीलिस्टिंग विषय पर चल रहे आंदोलन को आगे बढ़ाने की कार्ययोजना पर भी चर्चा की गई। एक स्वर में यह तय किया गया कि यदि संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन करने हेतु डीलिस्टिंग कानून नहीं बनाया जाता है तो राष्ट्र भर की 705 अनुसूचित जनजातियां, संसद का घेराव करेंगी।

4. संगठनात्मक मजबूती देने के उद्देश्य से यह तय किया गया कि देशभर में ग्राम स्तर तक संगठन को ले जाया जाएगा। क्योंकि गांव की सड़क से राष्ट्र की संसद तक संघर्ष का हमारा आंदोलन है।

उक्त चार बिंदुओं पर मुख्यतया आने वाले दिनों में कार्य करेंगे। तथ्य बताते हैं कि अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण, संरक्षण एवं विकास के फंड संबंधित संवैधानिक अधिकार वे लोग छीन रहे हैं जो पात्र नहीं है। जो मानक पर खरे नहीं उतरते हैं। ऐसे लोग धर्मांतरित है और इनकी संख्या कुल जनजातियों की संख्या में 10% से कम है परंतु ये लोग 70% अधिकारों को हड़प रहे हैं। इस ऐतिहासिक अन्याय के विरुद्ध जनजाति समाज ने यह आंदोलन खड़ा किया है। समाज की सज्जन शक्ति व जनजातियों के हित चाहने वाले कई अन्य समाज इसमें जुड़ते जा रहे हैं। उनका सहयोग मिलता जा रहा है। आप सभी से भी हम अपेक्षा करते हैं कि अस्मिता, अस्तित्व और विकास के इस महत्वपूर्ण विषय पर देश की लगभग 12 करोड़ जनजातियों के साथ खड़े रहें और उनकी आवाज बनें।

प्रेसवार्ता में मंच पर उपस्थित थे :-
• डॉ. राज किशोर हंसदा, अखिल भारतीय सहसंयोजक जनजाति सुरक्षा मंच
• श्री पवित्र कहर, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
• श्री कालू सिंह मुजाल्दा, सदस्य राष्ट्रीय टोली जनजाति सुरक्षा मंच
• श्री रामनाथ कश्यप, सदस्य राष्ट्रीय टोली जनजाति सुरक्षा मंच

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