Tuesday, February 4, 2025
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Pragyagiri Mountain Dongargarh : प्रज्ञागिरि पर्वत को बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में 48 करोड़ खर्च कर किया जा रहा विकसित

Chhattisgarh News : पर्यटन विकास की असीम संभावनाओं को देखते हुए प्रज्ञागिरि पर्वत (Pragyagiri Mountain Dongargarh) को बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में 48 करोड़ 43 लाख 83 हजार खर्च कर श्रीयंत्र के आकार में पर्यटक सुविधा केन्द्र का निर्माण हो रहा है।

शक्तिरूपा मां बम्लेश्वरी का प्रसिद्ध मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। मां बम्लेश्वरी देवी का मंदिर 1610 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।

राजनांदगांव जिले में नागपुर और बिलासपुर के बीच स्थित पर्वत श्रृंखला के बीच, सर्वोच्च शिखर पर माँ बम्लेश्वरी देवी का भव्य मंदिर है। डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित यह शक्तिरूपा देवी का प्रसिद्ध मंदिर (Pragyagiri Mountain Dongargarh) श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है।

मान्यता है कि भक्तों की मनोकामनाएं माँ बम्लेश्वरी देवी द्वारा पूर्ण की जाती हैं। इस मंदिर के समीप स्थित बड़ी बम्लेश्वरी के समतल पर, छोटी बम्लेश्वरी का मंदिर भी है, जिसे माँ बम्लेश्वरी की छोटी बहन माना जाता है।

इस पर्वत श्रृंखला की प्राकृतिक सुंदरता अद्भुत है, और मंदिर चारों ओर हरे-भरे वनों, पहाड़ियों और तालाबों से घिरा हुआ है।

पहाड़ी (Pragyagiri Mountain Dongargarh) के नीचे कामकंदला तालाब स्थित है। हर वर्ष चैत्र नवरात्र और क्वांर नवरात्र के दौरान यहाँ भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों भक्त और दर्शनार्थी पैदल और अन्य साधनों से आते हैं।

डोंगरगढ़ स्थित माँ बम्लेश्वरी मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों के साथ-साथ रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है।

माँ बम्लेश्वरी देवी का मंदिर 1610 फीट ऊँची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। भक्त देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से यहाँ आते हैं, जहाँ उन्हें लगभग 1000 सीढ़ियों की कठिन चढ़ाई करके माता के दर्शन करने का अवसर मिलता है।

इसके अलावा, रोपवे भी एक प्रमुख आकर्षण है। प्राचीन काल से डोंगरगढ़ दर्शनार्थियों की आध्यात्मिक और धार्मिक भावनाओं का केंद्र रहा है। माँ बम्लेश्वरी को बमलाई दाई या दाई बमलाई, और माँ बगलामुखी के नाम से भी जाना जाता है।

प्रज्ञागिरि पर्वत एक प्रमुख बौद्ध पर्यटन स्थल (Pragyagiri Mountain Dongargarh)

डोंगरगढ़ में स्थित प्रज्ञागिरि पर्वत (Pragyagiri Mountain Dongargarh) एक प्रमुख बौद्ध पर्यटन स्थल और तीर्थ के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र के विकास के लिए 5 करोड़ 54 लाख 59 हजार रुपये की स्वीकृति दी गई है। इस पर्वत पर भगवान गौतम बुद्ध की ध्यानस्थ मुद्रा में एक प्रतिमा स्थापित की गई है।

यहां एक मेडिटेशन सेंटर, कैफेटेरिया, पार्किंग, जल टैंक, गार्डरूम, पेयजल और बोरवेल, सीढ़ियों का जीर्णोद्धार, रेलिंग, साइनबोर्ड, सौर प्रकाश व्यवस्था, स्वच्छता सुविधाएं, इलेक्ट्रिकल, एसी, सीसीटीवी और अग्निशामक प्रणाली जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

33 करोड़ की लागत से पिल्ग्रिम फेसिलिटेशन सेंटर का विकास 

इसके अलावा, श्रद्धालुओं के लिए 33 करोड़ 29 लाख 74 हजार रुपये की लागत से एक पिल्ग्रिम फेसिलिटेशन सेंटर का विकास किया जा रहा है।

इसमें श्रीयंत्र भवन, प्रवेशद्वार, बाउंड्रीवाल, ड्रेनेज, सीसी रोड, अंडरग्राउंड जल टैंक, पार्किंग और ड्राइवर कक्ष, लैंडस्केपिंग, सौर प्रकाश व्यवस्था, साइनबोर्ड, इलेक्ट्रिकल, अग्निशामक प्रणाली और पेयजल जैसी सुविधाएं शामिल होंगी।

श्रद्धालुओं के लिए 9.5 एकड़ में डोंगरगढ़ की तीन पहाड़ियों के बीच एक श्रीयंत्र के आकार में पिल्ग्रिम फेसिलिटेशन सेंटर का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें ध्यान केंद्र और विश्राम कक्ष भी होंगे।

छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख तीर्थ स्थल (Pragyagiri Mountain Dongargarh)

डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले (Pragyagiri Mountain Dongargarh) में स्थित एक शहर और नगर पालिका है, जो माँ बम्लेश्वरी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इसे धर्मनगरी के नाम से भी जाना जाता है और यह छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।

डोंगरगढ़, राजधानी रायपुर से 106 किलोमीटर और जिला मुख्यालय राजनांदगांव से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और यह मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग के अंतर्गत आता है। हावड़ा-मुंबई मुख्य रेल मार्ग पर डोंगरगढ़ रेलवे जंक्शन है।

डोंगरगढ़ का अर्थ है “पहाड़ पर स्थित दुर्ग” (Pragyagiri Mountain Dongargarh)

“डोंगर” का अर्थ पहाड़ और “गढ़” का अर्थ दुर्ग होता है, इसलिए डोंगरगढ़ का अर्थ है “पहाड़ पर स्थित दुर्ग”। प्राचीन काल में इसे कामाख्या नगरी, कामावती नगर और डुंगराज्य नगर के नाम से जाना जाता था।

डोंगरगढ़, मुंबई-कलकत्ता (नागपुर के माध्यम से) के बीच रेलवे लाइन और हवाई अड्डे से 200 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर के निकट है, जबकि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से इसकी दूरी 100 किलोमीटर है।

डोंगरगढ़ तक पहुंचने का सबसे आसान तरीका रेलवे मार्ग है। यह कलकत्ता-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 6 पर स्थित ग्राम चिचोला के पश्चिम दिशा में भी है।

 

1976 में इसे एक सार्वजनिक ट्रस्ट का रूप देने का निर्णय

मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए, मंदिर समिति ने 1976 में इसे एक सार्वजनिक ट्रस्ट का रूप देने का निर्णय लिया।

मंदिर ट्रस्ट समिति लगातार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर के समग्र विकास और दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।

इसके परिणामस्वरूप, यहां प्रतिदिन और विशेष रूप से चैत्र और क्वांर नवरात्र पर्व के दौरान बड़ी संख्या में भक्त मां का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।

कई भक्तों ने सार्वजनिक और व्यक्तिगत रूप से विभिन्न प्रदेशों और नगरों में मां बम्लेश्वरी देवी के मंदिर स्थापित किए हैं, जो मां के प्रति नागरिकों की गहरी श्रद्धा, भक्ति और विश्वास का प्रतीक हैं।

डोंगरगढ़ ने नीचे स्थित मंदिर का भव्य निर्माण (Pragyagiri Mountain Dongargarh)

माँ बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट समिति, डोंगरगढ़ ने नीचे स्थित मंदिर (Pragyagiri Mountain Dongargarh) का भव्य निर्माण किया है। यह मंदिर नई दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के डिज़ाइन पर आधारित है और इसे गुजरात और राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा बनाया गया है।

मंदिर में कुल 8 प्रवेश द्वार हैं, 44 पिलर की ऊँचाई 14 फीट 7 इंच है, और मंदिर की कुल ऊँचाई शिखर सहित 95 फीट 3 इंच है। इसकी चौड़ाई 70 फीट और लंबाई 208 फीट है।

गर्भ गृह की लंबाई और चौड़ाई दोनों 15 फीट 9 इंच हैं। रंग मंडप की लंबाई और चौड़ाई 41 फीट है। मंदिर का बाहरी हिस्सा बंशीपहाड़पुर, राजस्थान के पत्थरों से सजाया गया है, जबकि आंतरिक भाग और गर्भ गृह में अम्बाजी के मार्बल का उपयोग किया गया है।

समिति ने छिरपानी धर्मशाला, ऊपर मंदिर धर्मशाला, और नीचे मंदिर धर्मशाला के अलावा नगर में कई धर्मशालाएं, लॉज, और होटल की सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। इसके अतिरिक्त, ट्रस्ट द्वारा ऊपर पहाड़ी मंदिर (Pragyagiri Mountain Dongargarh) और छिरपानी परिसर में भोजनालय और रेस्टोरेंट सेवाएं भी प्रदान की गई हैं।

 

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