Friday, April 18, 2025
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Peshawar Tree Arrest : 125 वर्षों से पेड़ ‘गिरफ्तार’ है, 24 घंटे लोहे की जंजीरों में बंधा रहता है! आखिर इसका क्या अपराध है

Pakistan Chained Tree : जब भी (Peshawar Tree Arrest) किसी कैदी को जेल के अंदर या बाहर ले जाया जाता है, उसे हाथों में हथकड़ी डाल दी जाती है ताकि वह भाग न सके।

फिल्मों में आपने देखा होगा कि कुछ कैदियों (Peshawar Tree Arrest)  को बड़े-बड़े जंजीरों में कसा जाता है। यह उन बेहद खतरनाक कैदियों के लिए किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी किसी पेड़ को जंजीर में बंधा हुआ देखा है?

पाकिस्तान में ऐसा एक पेड़ है जिसे 24 घंटे लोहे की जंजीर में कसा गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये जंजीरें इसे पिछले 125 सालों से पकड़कर रखी हैं। आखिर इस पेड़ का क्या दोष है? चलिए, हम आपको बताते हैं।

पेशावर में है ये पेड़ (Peshawar Tree Arrest) 
ऑडिटी सेंट्रल न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के पेशावर (Peshawar chained tree) में एक पेड़ है जो पिछले 125 सालों से गिरफ्तार है. दरअसल, ये पेड़ लोहे की जंजीरों से बंधा हुआ है.

इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि इसे हथकड़ी पहनाई गई है. ये पेड़ 1899 से इसी तरह अरेस्ट है. इसके पीछे का कारण है एक ब्रिटिश अधिकारी जेम्स स्क्विड, जिसने नशे की हालत में इस पेड़ को गिरफ्तार कर लिया.

इस कारण से पेड़ चेन में बंधा है (Peshawar Tree Arrest) 

कहानी कुछ इस तरह है कि तोरखान बॉर्डर के निकट लंडी कोताल नामक एक कस्बा है, जहां जेम्स तैनात थे। एक दिन, जब वे शराब के नशे में धुत होकर इस पेड़ के पास से गुजरे, तो उन्हें ऐसा लगा कि पेड़ उनसे दूर जा रहा है।

जैसे-जैसे वे पेड़ के करीब पहुंचे, उन्हें महसूस हुआ कि वह चलकर उनसे और दूर होता जा रहा है। यह देखकर उन्हें गुस्सा आ गया और उन्होंने मेस सार्जेंट को आदेश दिया कि वह इस पेड़ को गिरफ्तार कर लें और चेन से बांधकर जमीन पर रोक दें। फिर क्या था, ऐसा ही हुआ। तब से लेकर आज तक यह पेड़ इसी चेन में बंधा हुआ है।

pakistan tree arrest

पर्यटक पेड़ को देखने आते हैं (Peshawar Tree Arrest) 
यह पेड़ आज खायबर राइफल्स ऑफिसर्स मेस में स्थित है और एक चेन से बंधा हुआ है। पेड़ पर एक बोर्ड लगा है, जिसमें इसके बंधे होने की पूरी कहानी लिखी गई है, जिसे पढ़कर ऐसा लगता है जैसे पेड़ खुद अपनी कहानी सुना रहा हो।

पर्यटकों के लिए यह पेड़ हंसी का कारण बनता है, लेकिन स्थानीय निवासियों के लिए यह अंग्रेजों के अत्याचार की एक प्रतीक है। उनके अनुसार, यह पेड़ दर्शाता है कि यदि कोई उस समय ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जाने की कोशिश करता, तो उसका यही हाल होता।

 

 

 

 

 

 

 

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