Chhattisgarh News : प्रदेश में अनाज, दाल-सब्जी और फलों से ज्यादा फूलों की खेती के लिए लोन (loan Norms Fixed) दिया जा रहा है। इसी तरह गाय-भैंस जैसे दुधारू मवेशियों की अपेक्षा मछली पालने के लिए लोन राशि ज्यादा दी जा रही है।
धान के लिए प्रति हेक्टेयर कम से कम 60 हजार रुपए और गेहूं के लिए 35 हजार ऋणमान (लोन स्केल) तय किया गया है। इसी तरह दाल, सब्जी और फलों का ऋणमान ग्लेडियस और रजनीगंधा जैसे फूलों से काफी कम है।
राज्य स्तरीय तकनीकी समिति ने वर्ष 2024-25 में प्रदेश के बैंकों से कृषि, बागवानी, पशुपालन आदि के लिए दिए जाने वाले लोन स्केल का निर्धारण किया है। इसमें न्यूनतम लोन राशि तय किया गया है। उल्लेखनीय है कि युवा वर्ग बैंकों से लोन लेकर परपंरागत फसलों के बजाय फल-फूल, सब्जियों की खेती पर फोकस कर रहे हैं।
ग्लेडियस और रजनीगंधा के फूलों की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 1 लाख 65 हजार लोन राशि दिया जा रहा है। गुलाब के लिए 1 लाख 10 हजार है। इसी तरह दुधारू गाय के लिए 33 हजार और भैंस के लिए 39 हजार मिनिमम लोन राशि तय है, जबकि मछली पालन के लिए प्रति हेक्टेयर 1 लाख 60 हजार रुपए तय है।
करेला का ऋणमान (loan Norms Fixed) प्रति हेक्टेयर 1 लाख 52 हजार है। इसके बाद अरबी 1 लाख 50 हजार, जिमीकंद 1 लाख 45 हजार और हल्दी के लिए 1 लाख 40 हजार है। इसी तरह फलों में टिश्यू कल्चर केला के लिए कम से कम 1 लाख 65 हजार का ऋण देने का नियम है।
वर्तमान में प्रदेश में खेती-किसानी का तरीका बदला है। अब किसान व्यवसायिक खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। परपंरागत धान और गेहूं के अलावा फल-फूल, सब्जियों और पशुपालन पर जोर दे रहे हैं। इसके चलते बैंकों से कृषि लोन लेने वालों की संख्या भी बढ़ी है।
अफसरों ने कहा कि फसलों के लिए ऋणमान का निर्धारण उनकी लागत और जरूरतों के हिसाब से तय किया जाता है। यह हर साल रिवाइज होता है। लोन स्केल तकनीकी टीम तय करती है। इसमें एग्रीकल्चर, उद्यानिकी व अन्य विभागों के जानकार शामिल होते हैं।