Baramkela News : छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक (Fertilizer Crisis In Chhattisgarh) में रबी सीजन की फसलों की बोआई और रोपाई का काम जोरों पर है।
धान की रोपाई पूरी होने के बाद अब किसानों को खाद (Fertilizer Crisis In Chhattisgarh) की जरूरत है, लेकिन सहकारी समितियों में यूरिया और एनपीके खाद की भारी किल्लत बनी हुई है।
मजबूरी में किसान निजी दुकानों से महंगे दामों पर खाद (Fertilizer Crisis In Chhattisgarh) खरीदने को मजबूर हैं। इस बीच, किसानों का आरोप है कि समितियों में खाद का वितरण ठीक से नहीं हो रहा और रसूखदार लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है।
खाद के लिए भटकते किसान (Fertilizer Crisis In Chhattisgarh)
बरमकेला ब्लॉक में कुल 11 सेवा सहकारी समितियां हैं, लेकिन अधिकांश में यूरिया और एनपीके खाद उपलब्ध नहीं है। खाद की इस किल्लत से किसान परेशान हैं और खेती की लागत लगातार बढ़ रही है। खाद के अभाव में फसल की बढ़वार प्रभावित हो रही है, जिससे पैदावार पर भी असर पड़ने की आशंका है।
किसानों ने आरोप लगाया कि समितियों में खाद का सही से वितरण नहीं किया जा रहा और कुछ करीबी लोगों को पहले ही खाद मुहैया करवा दी जा रही है। वहीं, आम किसानों को समितियों से खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
निजी दुकानों में महंगा मिल रहा खाद (Fertilizer Crisis In Chhattisgarh)
सहकारी समितियों में खाद न मिलने से किसानों को मजबूरन निजी दुकानों का रुख करना पड़ रहा है, लेकिन वहां खाद की कीमतें आसमान छू रही हैं। बाजार में यूरिया और एनपीके के दाम बढ़ चुके हैं और किसानों को दो से तीन गुना ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।
बरमकेला के किसान हरिराम पटेल ने बताया, “हम सुबह से शाम तक समितियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन खाद नहीं मिल रही। आखिर सरकार क्या कर रही है? मजबूर होकर हमें बाजार से महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है, जिससे खेती की लागत बढ़ रही है।”
प्रशासन और सरकार पर सवाल (Fertilizer Crisis In Chhattisgarh)
किसानों का कहना है कि जिला प्रशासन और कृषि विभाग इस समस्या की अनदेखी कर रहा है। कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
रंगाडीह के किसान डबल सिंह चौधरी ने कहा, “किसानों की इस समस्या को देखने वाला कोई नहीं है। जिला प्रशासन और कृषि विभाग बस फाइलों में समाधान ढूंढ रहा है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि किसान खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं।”
चुनाव में व्यस्त सरकार, किसान बेहाल (Fertilizer Crisis In Chhattisgarh)
किसानों का आरोप है कि राज्य सरकार इस वक्त नगर निगम और पंचायत चुनावों में व्यस्त है, जबकि किसान संकट से जूझ रहे हैं। सरकार की प्राथमिकता चुनाव जीतना रह गया है, जबकि ग्रामीण इलाकों में खेती-किसानी की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बरमकेला के एक किसान ने तंज कसते हुए कहा, “अगर सरकार किसानों की समस्या हल करने के लिए भी इतनी ही मेहनत करती, जितनी चुनाव जीतने में कर रही है, तो शायद हमें खाद के लिए भटकना नहीं पड़ता।”
क्या कहता है कृषि विभाग (Fertilizer Crisis In Chhattisgarh)
जब इस मुद्दे पर कृषि विभाग के एक अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि खाद की सप्लाई को लेकर काम किया जा रहा है। अधिकारी के अनुसार, “जिले में खाद की कमी को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही यूरिया और एनपीके की आपूर्ति की जाएगी, जिससे किसानों को राहत मिलेगी।”
किसानों की मांग (Fertilizer Crisis In Chhattisgarh)
सहकारी समितियों में जल्द से जल्द खाद उपलब्ध कराई जाए।
कालाबाजारी और जमाखोरी पर रोक लगाई जाए।
किसानों को बाजार में मिलने वाले ऊंचे दामों से राहत देने के लिए अनुदान दिया जाए।
खाद वितरण में पारदर्शिता लाई जाए और करीबी लोगों को पहले खाद देने की प्रथा खत्म हो।
किसानों की बढ़ रही मुश्किलें (Fertilizer Crisis In Chhattisgarh)
खाद संकट से जूझ रहे किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।
किसान कर्ज लेकर महंगी खाद खरीदने को मजबूर हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में फसलों की पैदावार प्रभावित होगी और किसान और अधिक संकट में आ जाएंगे।
