Monday, March 10, 2025
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Himalayan Bird : छत्तीसगढ़ में पहली बार दिखा हिमालय का शिकारी परिंदा

Chhattisgarh Sarus Bird News : छत्तीसगढ़ में सारस पक्षियों (Himalayan Bird) की स्थिति गंभीर रूप से चिंताजनक हो गई है। राज्य में सारस (क्रेन) का केवल एक जोड़ा बचा है, जो सरगुजा जिले के लखनपुर ब्लॉक में पाया गया है।

छत्तीसगढ़ में पहली बार दिखा हिमालय का शिकारी परिंदा पूर्वी मार्श हैरियर। इसके साथ ही सारस पक्षियों की स्थिति भी चिंताजनक है। - Dainik Bhaskar

यह जोड़ा अपनी प्रजाति का राज्य में आखिरी प्रतिनिधि है। हाल ही में इनके दो चूजों में से एक को जंगली जानवरों ने मार दिया, जबकि दूसरा चूजा लापता है। इस प्रकार, यह प्रजाति अब केवल दो पक्षियों तक सीमित हो गई है।

सारस पक्षियों की घटती संख्या (Himalayan Bird)

सरगुजा क्षेत्र में 255 से अधिक पक्षी (Himalayan Bird) प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इनमें सारस क्रेन का विशेष महत्व है। 20 साल पहले छत्तीसगढ़ में सारस पक्षियों की संख्या 8 से 10 जोड़े (लगभग 20 पक्षी) थी।

2015 तक यह संख्या घटकर 4 जोड़े (8 पक्षी) रह गई, और 2023 में केवल एक जोड़ा ही बचा है। यह आंकड़ा साफ तौर पर दर्शाता है कि आसपास के पर्यावरण में गंभीर गड़बड़ी है।

शोध में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य (Himalayan Bird)

हाल ही में सारस पक्षियों पर एक शोध किया गया, जिसमें प्रतीक ठाकुर, एएम के भरोस, डॉ. हिमांशु गुप्ता और रवि नायडू शामिल थे। शोध के अनुसार, सारस पक्षियों की स्थिति अत्यंत संकटग्रस्त है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि सारस का यह जोड़ा पिछले कई वर्षों से लखनपुर के जमगला और तराजू वाटर टैंक के आसपास देखा जा रहा है। 2022 में इनके दो चूजे हुए थे, जिससे उम्मीद जगी थी कि इनकी संख्या बढ़ेगी। लेकिन दिसंबर 2023 में एक चूजे को जंगली जानवरों ने मार दिया, जबकि दूसरा चूजा लापता है।

छत्तीसगढ़ में अब सारस (क्रेन) का केवल एक जोड़ा बचा है, जो सरगुजा में है।

सारस पक्षी एक समय में केवल दो ही बच्चे पैदा करते हैं, जिनमें से एक वयस्क होने से पहले ही मर जाता है। दूसरा चूजा ही वयस्क हो पाता है और अपने माता-पिता से जीवन के जरूरी कौशल सीखता है। हालांकि, इस बार दूसरा चूजा भी लापता है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि वह अपने जीवनसाथी की तलाश में निकल गया होगा।

सारस के सामने मुख्य खतरे

इस जोड़े का मुख्य निवास स्थान लखनपुर है, लेकिन भोजन की तलाश में यह आसपास के खेतों, छोटे तालाबों और रीहंद नदी के किनारे तक जाता है। इनके सामने कई गंभीर समस्याएं हैं:

तालाबों में मछली पकड़ने की गतिविधियां : मछली पकड़ने के लिए लगाए गए जाल सारस के घोंसलों के लिए खतरनाक होते हैं।

खेतों में रसायनों का इस्तेमाल : खेतों में जहरीले रसायनों के प्रयोग से सारस के भोजन में जहर मिल सकता है।

आवारा कुत्तों का हमला : आवारा कुत्ते सारस के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।

अवैध रेत खनन : इससे सारस के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं।

संरक्षण के प्रयास

प्रशासन और पर्यावरण कार्यकर्ता सारस को बचाने के लिए प्रयासरत हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए पोस्टर लगाए गए हैं और कई ग्रामीणों ने इन पक्षियों पर नजर रखना शुरू कर दिया है। हालांकि, अनियंत्रित मानवीय गतिविधियां अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।

पहली बार दिखा हिमालय का शिकारी पक्षी (Himalayan Bird)

इस शोध के दौरान एक रोचक तथ्य सामने आया है। बिलासपुर के सीपत डैम और सरगुजा के तराजू गांव में पहली बार ‘पूर्वी मार्श हैरियर’ (Himalayan Bird) नामक शिकारी पक्षी देखा गया है। यह पक्षी एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में इसे पहले कभी नहीं देखा गया था।

शोधकर्ताओं का मानना है कि राज्य में अन्य दुर्लभ प्रजातियां भी लौट सकती हैं, लेकिन इसके लिए समय रहते उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।

छत्तीसगढ़ में पहली बार दिखा हिमालय का शिकारी परिंदा।
पूरी तरह विलुप्त हो सकती है (Himalayan Bird)

सारस पक्षियों की घटती संख्या और उनके सामने मौजूद खतरे यह दर्शाते हैं कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह प्रजाति छत्तीसगढ़ से पूरी तरह विलुप्त हो सकती है।

सारस जोड़े का एक बच्चा अभी भी लापता है।

साथ ही, पूर्वी मार्श हैरियर (Himalayan Bird) जैसे दुर्लभ पक्षी का दिखना यह संकेत देता है कि अगर पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दिया जाए, तो अन्य दुर्लभ प्रजातियां भी यहां लौट सकती हैं। सवाल यह है कि क्या हम समय रहते सही कदम उठाएंगे या सारस को हमेशा के लिए खो देंगे?

 

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