Jagdalpur News : चार साल पहले लगाए गए (Naxal Attack) 70 किलो के इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के डेटोनेटर को सक्रिय कर नक्सलियों ने पुलिस की स्कार्पियो को उड़ा दिया। यह जानकारी बीजापुर जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर अंबेली गांव के पास सोमवार दोपहर हुए नक्सली हमले की जांच में सामने आई है।
इस हमले (Naxal Attack) में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के आठ जवान शहीद हो गए। घटना स्थल पर एक फुट मोटी कंक्रीट की सड़क उखड़ गई, जिससे वहां दस फीट गहरा और 25 फीट व्यास का गड्ढा बन गया।
विस्फोट (Naxal Attack) के बाद जवानों के शरीर के अंग और स्कार्पियो के टुकड़े 500 मीटर के दायरे में बिखर गए। मंगलवार को भी सुरक्षा बल के जवान शहीदों के क्षत-विक्षत अंगों की तलाश करते रहे ताकि उन्हें सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जा सके।
कुटरु से बेदरे तक की सड़क का डामरीकरण लगभग दस साल पहले किया गया था, लेकिन कुछ वर्षों बाद अंबेली के निकट एक पुल और सड़क का हिस्सा बारिश में बह गया। वर्ष 2020 में इस सड़क की मरम्मत की गई, लेकिन नक्सलियों ने फाक्सहोल (छोटे मुंह) सुरंग खोदकर 70 किलो से अधिक वजनी ट्रिगर आइईडी बिछा (Naxal Attack) दिया।
ट्रिगर आइईडी वह होता है, जिसे बैटरी, रिमोट कंट्रोल, इंफ्रारेड, मैग्नेटिक या ट्रिप वायर के माध्यम से सक्रिय किया जा सकता है। सोमवार को नक्सलियों को यह जानकारी थी कि दक्षिण अबूझमाड़ में तीन दिन के अभियान के बाद डीआरजी के जवान वाहन से लौट रहे हैं। नक्सलियों ने सही समय पर आइईडी को ट्रिप वायर तकनीक से सक्रिय कर विस्फोट कर दिया।
पेड़ के नीचे दबा हुआ स्विच, 300 मीटर दूर से किया गया विस्फोट (Naxal Attack)
नक्सलियों ने एक आइईडी को सक्रिय करने के लिए पास के एक पेड़ की जड़ में डेटोनेटर से जुड़ा स्विच जमीन के नीचे दबा रखा था।
इसके ऊपर मिट्टी और पत्थर डाल दिए गए थे, जिससे बम निरोधक दस्ते को तार का पता नहीं चल सका। निशान के तौर पर पेड़ की छाल को छील दिया गया था।
सोमवार को जब जवानों का काफिला आगे बढ़ा, नक्सलियों (Naxal Attack) ने विस्फोट की योजना बना ली। पेड़ के नीचे दबे स्विच को तार से जोड़कर लगभग 300 मीटर दूर एक अन्य पेड़ के नीचे ले जाया गया।
वहीं से निशाना साधकर जवानों के काफिले की 11वीं गाड़ी को विस्फोट से उड़ा दिया गया। इस विस्फोट के कारण 200 मीटर पीछे चल रही एक अन्य गाड़ी के कांच भी टूट गए।
24 वर्षों में 1197 बारूदी सुरंग विस्फोट, 1313 की मौत (Naxal Attack)
अविभाजित बस्तर जिले के कोंटा क्षेत्र में 1990 के दशक में नक्सलियों ने पहली बार बारूदी सुरंग का उपयोग करते हुए पुलिस के वाहन को निशाना बनाया था।
1992 में उत्तर बस्तर के बड़ेंडोंगर में चुनावी वाहन को उड़ाने के बाद से नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट को अपने मुख्य हथियार के रूप में अपनाया।
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से पिछले 24 वर्षों में 1197 बारूदी सुरंग विस्फोट की घटनाओं में 1313 सुरक्षा बल के जवान और आम नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं।