Friday, October 18, 2024

आर भारत स्टिंग : ‘महादेव सट्टा एप को छत्तीसगढ़ में राजनीतिक सरंक्षण’, प्रमोटर सौरभ चंद्राकर के चाचा ने किया बड़ा खुलासा

 

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रायपुर। महादेव सट्टा एप मामले पर न्यूज चैनल रिपब्लिक भारत ने बड़ा खुलासा किया है। न्यूज चैनल ने महादेव एप के प्रमोटर सौरंभ चंद्राकर के चाचा दिलीप चंद्राकर का स्टिंग किया है। इसमें दिलीप चंद्राकर महादेव के प्रमोटर्स को छत्तीसगढ़ सरकार से संरक्षण की बात की है। इसके अलावा आर भारत ने सौरंभ शुक्ला से भी बात की है, उसने भी बड़ा खुलासा किया है। साथ ही उस वक्त एसपी रहे अभिषेक पल्लव का बयान भी दिखाया है। जिसमें कार्रवाई की बात कही जा रही है।

दिलीप चंद्राकर ने किए बड़े खुलासे

दिलीप चंद्राकर ने रिपब्लिक के स्टिंग में बताया कि ‘एक अवैध काम चलाने के लिए, पुलिस और नेताओं की जरूरत होती है। इसमें कई बड़े लोग शामिल हैं। वीडियो में दिलीप चंद्राकर को यह कहते दिखाया गया है कि सौरभ ने पुलिस विभाग से लेकर नेता सभी को पैसे खिलाए थे, छत्तीसगढ़ सरकार भी सौरभ का कुछ नहीं कर सकती है। बड़े-बड़े नाम उसके साथ जुड़े है। सरकार से लेकर पुलिस सभी उसकी मदद करते है।

दिलीप ने बताया कि, जब उन्हें पूछताछ के लिए जांच एजेंसियों द्वारा बुलाया गया तो सौरभ ने पहले ही उन्हें बता दिया था। उसने(सौरभ) उन्हें एजेंसियों की जांच में सहयोग करने कहा था। साथ ही आश्वासन दिया था की उनका कोई कुछ नहीं कर सकता। पूछताछ के दौरान ED ऑफिस में वह सुबह से शाम तक थे। इस दौरान उनसे एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने ही पूछताछ की (जिसे बाद में विभाग द्वारा सस्पेंड कर दिया गया)।

“ED की रेड को दुबई से देख रहा था सौरभ”

दिलीप ने आगे बताया कि, ईडी की टीम जब सौरभ के सूर्या विहार स्थित घर पर रेड मारने गई थी तब दुबई में बैठा सौरभ पूरी रेड को CCTV के जरिए देख रहा था।

“सरकार के लोगों को भी खिलाए थे पैसे”

दिलीप ने बताया कि, गैरकानूनी काम करने के लिए नेता और पुलिस से साठगांठ जरूरी है। सट्टा एप के आय का इस्तेमाल एक राजनीतिक दल को फंड करने के लिए किया जा रहा था। कांग्रेस की पार्षद प्रियंका साहू को भी पैसे दिए गए थे। चुनाव आने पर सभी नेता पैसों की डिमांड का रहे थे, और उन्हें दिया भी गया।

महादेव ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर के सहयोगी सौरभ शुक्ला कहते हैं, “सौरभ इस पूरी सरकार को खरीद सकते हैं। वह इस छत्तीसगढ़ सरकार को चला रहे हैं, ये छापे भी उसी योजना का हिस्सा हैं।”

“CM को स्कैम का पता था लेकिन शायद उसकी इंटेंसिटी का पता नहीं था”- SP अभिषेक पल्लव

इस घोटाले की शुरुआती जांच करने वाले कवर्धा जिला के मौजूदा एसपी अभिषेक पल्लव को स्टिंग ऑपरेशन वाले वीडियो में यह मानते हुए दिखाया गया कि इस घोटाले की जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को थी। लेकिन इसकी तीव्रता का अंदाजा उन्हें नहीं था। हो सकता है पॉलिटिकल फंडिंग दूसरे स्टेट्स में करनी पड़ीं हो। उन्हें नहीं पता था कि इस स्कैम में वह इतना फंसते चले जायेंगे।” उन्होंने कहा कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने उन्हें स्कैम में पूरा सिस्टम बना हुआ है ऐसा बताया था, लेकिन मैंने उससे कहा कि, ‘मैं न लेता हूं ना किसी गैरकानूनी काम को संरक्षण देता हूं।’

एसपी पल्लव ने आगे कहा, चंद्रभूषण ने उन्हें बताया था कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी, ऐसा भरोसा उसे ऊपर से दिया गया है। उन्होंने कहा कि महादेव एप में किसी भी बड़े अधिकारी या कलेक्टर्स का सीधे तौर पर संलिप्तता नहीं रही हैं। लेकिन हो सकता है की क्लियरेंस के लिए उच्च अधिकारियों की मदद ली गई हो।

महादेव एप का पैनल चलाने वाले कांस्टेबल को किया सस्पेंड

एसपी पल्लव ने बताया कि एक सायदेव नाम का कांस्टेबल था, जिसे कुम्हारी थाने में पोस्टिंग दी गई थी। लेकिन वो ड्यूटी ही ज्वाइन नहीं कर रहा था। पूछताछ करने पर पता चला की नागपुर में वह महादेव एप के 3 पैनल संचालित कर रहा था। इस बारे में जानकारी मिलते ही मैने उसे सस्पेंड कर दिया। जांच करने पर पता चला की उसकी पत्नी के अकाउंट से 3.5 करोड़ का लेनदेन हुआ है। यह लेनदेन कांस्टेबल की पत्नी और उसकी(कॉन्स्टेबल की)बहन के बीच हुआ था। कांस्टेबल के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद एसपी पल्लव को कई लोगों ने कॉल किया। उन पर सस्पेंशन के फैसले को वापस लेने का दबाव बनाया गया था।

सीएम भूपेश बघेल पर ईडी का आरोप

महादेव एप मामले में ईडी के दावे से खलबली मच गई। ईडी ने अपने प्रेस रिलीज में बताया कि ऑनलाइन सट्टा एप के प्रमोटर्स ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए दिए हैं। यह आरोप गिरफ्तार कैश कूरियर असीम दास के बयान के आधार पर ईडी ने लगाया है। वहीं कांग्रेस और सीएम भूपेश ने इसे मजाक बताया है। एक आरोपी के बयान पर आरोप लगाना सही नहीं है। ईडी ने जांच की बात वाली लाइन कार्रवाई से बचने के लिए लिखी है।

(यह खबर टीवी न्यूज चैनल ‘Republic Bharat’ पर दिखाए गए स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर बनाई गई है। ‘ Bol Chhattisgarh’ इस स्टिंग ऑपरेशन की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है)

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