Wednesday, October 16, 2024

साहू समाज कांग्रेस से नाराज : ताम्रध्वज 5 साल रहे उपेक्षित, अनदेखी से तुलसी ने किया भाजपा प्रवेश

 

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भिलाई। कांग्रेस की पूर्व जिला अध्यक्ष तुलसी साहू शनिवार (4 अक्टूबर) को भाजपा में शामिल हो गईं। प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने तुलसी को भाजपा की सदस्यता दिलाई। इस दौरान वैशाली नगर प्रत्याशी रिकेश सेन भी मौजूद थे। पार्टी प्रवेश के बाद रिकेश समेत दुर्ग जिले के अन्य प्रत्याशियों के लिए काम करने की बात कही है। वहीं दुर्ग की सभा में प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने पीएम मोदी से तुलसी साहू का परिचय कराया। मंच पर प्रधानमंत्री के साथ पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भी उपस्थित थे। उन्होंने भी पीएम को तुलसी साहू के बारे में जानकारी दी। कुछ देर तक पीएम मोदी रमन सिंह के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

 

दुर्ग जिले की दिग्गज नेत्री तुलसी साहू के भाजपा प्रवेश में डॉ रमन सिंह की विशेष भूमिका रही है। उन्होंने पार्टी में शामिल कराने के लिए सार्थक प्रयास किया। और उनके कोशिशों के चलते ही तुलसी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की। इससे जिले में पार्टी को काफी मदद मिलेगी।

 

 

तुलसी साहू के इस्तीफे से कांग्रेस को बड़ा झटका

 

 

बता दें कि तुलसी पेशे से अधिवक्ता हैं और वैशाली नगर विधानसभा सीट से कांग्रेस की दावेदार थीं। अपनी सक्रियता, अच्छे व्यवहार और जुझारूपन के लिए जानी जाती हैं। भूपेश बघेल के करीबी के रुप में जानी जाती हैं। कांग्रेस से राज्यसभा के उम्मीदवार के रुप नाम फ़ाइनल हो गया था, लेकिन आख़िरी समय में उनका नाम कट गया था।

 

 

वहीं अब विधानसभा चुनाव के समय तुलसी साहू के इस्तीफे से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। साहू समाज में ना सिर्फ़ दुर्ग ज़िले बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में अपना ख़ासा प्रभाव रखती हैं। कांग्रेस ने साहू समाज की दो प्रभावशाली विधायकों छन्नी साहू और शकुन्तला साहू की टिकट काट दी है। वहीं ताम्रध्वज साहू को मुख्यमंत्री के रुप में नाम फ़ाइनल होने के बाद भी सिर्फ मंत्री पद से संतुष्ट होना पड़ा। पूरे 5 साल गृहमंत्री होने के बाद भी उपेक्षित रहे। बेमेतरा ज़िले के बिरनपुर की घटना के बाद से साहू समाज कांग्रेस से नाराज़ चल रहा था। उस पर शकुन्तला, छन्नी और तुलसी साहू के प्रकरण से कांग्रेस के साहू वोट बैंक पर विपरीत असर पड़ने की बात कही जा रही है।

 

कांग्रेस में व्यक्ति निष्ठा को महत्व

 

तुलसी साहू ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को इस्तीफा देने के बाद कहा कि पार्टी में मेरी अनदेखी की गई है। मेरा नाम महापौर प्रत्याशी के लिए चला लेकिन एक गृहिणी को टिकट दे दिया। इसके बाद साल 2018 में वैशालीनगर से विधायक प्रत्याशी के लिए नामांकन भराया लेकिन कुरैशी के नाम की घोषणा हो गई। फिर 2022 में राज्यसभा भेजने की चर्चा हुई। बताया गया कि नाम फाइनल हो गया। लेकिन अंतिम समय में नाम कट गया। पार्टी के प्रति समर्पण एवं निष्ठा का कद्र नहीं हुआ। कांग्रेस में पार्टी निष्ठा के बजाए व्यक्ति निष्ठा को अधिक महत्व दे रही है। कांग्रेस ने लगातार मेरी भावनाओं के साथ छल किया है।

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