रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। विधानसभा चुनाव 2023 में इस बार युवा और महिला मतदाताओं (Youth Voter) के हाथों में प्रत्याशियों की हार एवं जीत होगी। यानी यही निर्णायक भूमिका में होंगे और इन्हीं से प्रदेश में सत्ता की चाबी निकलने वाली है। प्रदेश में कुल मिलाकर वोटर्स की संख्या 2 करोड़ 03 लाख 60 हजार 240 है। जिसमें से 1 करोड़ 1 लाख 20 हजार 830 पुरुष वोटर्स जबकि 1 करोड़ 2 लाख 39 हजार 410 महिला वोटर्स है। थर्ड जेंडर की संख्या 790 है। 18 लाख 68 हजार 636 नए मतदाता है। इनकी आयु 18 से 22 साल के बीच है।
इन आंकड़ों पर नजर डाले तो महिला वोटर्स की संख्या पुरूषों की तुलना में अधिक है। इसके अलावा 18 लाख से अधिक मतदाता 18 से 22 साल के हैं, मतलब 18 लाख में से ये अधिकतर कॉलेज स्टूडेंट हैं। जो इस बार छत्तीसगढ़ की सत्ता में अहम भूमिका निभाएंगे। 2018 में कांग्रेस सत्ता वापसी के लिए प्रमुख रूप से 36 बिंदुओं पर प्रदेश की जनता से वायदे किए थे। इनमें युवाओं के लिए 25 सौ रुपए प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता और 10 लाख युवाओं को रोजगार देने का वायदा था ताे महिलाओं के लिए प्रदेश में शराबबंदी।
प्रदेश की कांग्रेस सरकार शराबबंदी का वायदा पांच सालों में पूरा नहीं कर पायी। पूरे पांच साल पक्ष-विपक्ष में वाद-विवाद, आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा, लेकिन अगर किसी को मायूसी हाथ लगी तो वो प्रदेश की 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को। छत्तीसगढ़ की माताओं को यह आस थी कि सरकार शराबबंदी करेगी तो न सिर्फ उनका घर परिवार बचेगा, बल्कि वे आर्थिक रूप से भी सशक्त और मजबूत होंगे। पर उनके इस विश्वास का गला घोंटा गया। इससे प्रदेश की महिलाओं में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। महिलाओं का यह आक्रोश सत्ता का तख्ता पलट के लिए अहम साबित भी हो सकता है।
युवाओं (Youth Voter) की बात करें तो इनके साथ भी महिलाओं की तरह छलावा और धोखा हुआ। इन्हें वायदे के मुताबिक प्रति माह 25 सौ रुपए बेरोजगार भत्ता और 10 लाख युवाओें को रोजगार देना था। बेरोजगारी भत्ता प्रदेश के युवाओं को मिलना तो शुरू हुआ, लेकिन चुनाव के करीब छह महीने पहले, मतलब 60 महीने की जगह महज 4 से 5 माह ही भत्ता मिला। इसमें भी इतने नियम कायदे लागू किए गए कि युवाओं को मायूसी हाथ लगी। सरकार की दलील है कि पूरे देश में सबसे कम बेरोजगारी छत्तीसगढ़ में है…जबकि सरकार के ही रोजगार विभाग में 19 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं का पंजीयन है। अब पंजीयन के आंकड़े झूठे है या सरकार के दावे, कहना तो मुश्किल है। पर प्रदेश में अगर चपरासी की वेकेंसी भी निकलती है तो बीए, एमए ही नहीं, बीई और एमबीए वाले भी फार्म भरते नजर आते हैं। इससे पता चलता है कि आंकड़े के सही मायने क्या है। वहीं एसआई और 14 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी पांच सालों में पूरी नहीं हो पायी है।
इसके अलावा युवाओं (Youth Voter) को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी निराशा हाथ लगी है। दरअसल, सरकार द्वारा शिक्षक भर्ती हजार से अधिक शिक्षक भर्ती और प्रदेश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा सीजी पीएससी भर्ती में भी गड़बड़ी के आरोप लगे है। सत्तासीन और अफसरों के रिश्तेदारों को नौकरी बांटने का आरोप है। मामला छत्तीसगढ़ के हाईकोर्ट और देश के सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। शिक्षक और पीएससी भर्ती में गड़बड़ी सिर्फ युवाओं को प्रभावित नहीं करता, बल्कि इससे उसका पूरा परिवार प्रभावित होता है।
डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, सब इंस्पेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, शिक्षक समेत तमाम पदों पर पहुंचने के लिए युवा न सिर्फ दिन रात सालों तक मेहनत करते हैं, बल्कि कई परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण अपने बच्चों को पढ़ाने-लिखाने में खेत-खलिहान तक बिक जाते हैं। इसके बाद भी राज्य की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा में अगर पारदर्शिता और निष्पक्षता न हो तो युवाओं को न सिर्फ निराशा हाथ लगती है, बल्कि सोचने और विचार विमर्श करने पर मजबूर करता है। प्रदेश में 18 लाख से अधिक युवा वोटर्स हैं जो सत्ता पटलने की हिम्मत रखते हैं। अब देखना है कि सरकार पर लगे आरोपों पर युवा (Youth Voter) अपना क्या निर्णय लेते हैं।
