Friday, November 22, 2024

Tiger : लंबे अरसे के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर में दिखा बाघ

Kawardha News : कुछ सप्ताह पहले जहां कबीरधाम जिले के अंतर्गत क्षेत्र पंडरिया में हाथियों के दल को देखा गया था। इसके बाद यह हाथी के दल मुंगेली क्षेत्र की ओर अपना रख कर लिए। इसके साथ ही विद्युत करंट की चपेट में आने से एक हाथी की मौत भी हो चुकी है। अब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर में इस बार जंगल के राजा का शाही अंदाज देखने को मिला है जो भोरमदेव अभ्यारण क्षेत्र में लगाए गए ट्रेप कमरे में जिसकी तस्वीर कैद हो चुकी है।  अब इस बाघ (Tiger)  की सुरक्षा को लेकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ वन विभाग सजग होते हुए अपनी नजरे जमाए हुए बैठा हुआ है।

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बता दे की कबीरधाम जिले में एक बार बाघ (Tiger)  की हत्या किए जाने का मामला निकलकर सामने भी आ चुका है। इसके साथ ही अब बाघ की सुरक्षा को लेकर दोनों ही तरफ के विभाग काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं. बाघ के हर एक मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है।
जिले के जंगल में लंबे अरसे बाद फिर से बाघ (Tiger) की उपस्थिति देखी गई  है। वही वन विभाग की टीम सुरक्षा को लेकर मुस्तैद है। विभिन्न जगहों पर लगे ट्रैप कैमरे से प्रतिदिन निगरानी की जा रही है। बाघ की मौजूदगी के लगातार प्रमाण मिल रहे है। जंगल में हिंसक वन्य प्राणी द्वारा मवेशी के शिकार किए जाने के बाद वन विभाग ने ट्रैप कैमरा लगाया था। जिसमें बाघ की तस्वीर कैद हुई है।
जिले का भोरमदेव अभ्यारण्य क्षेत्र का  सीमा कान्हा टाईगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है, जहां लंबे समय से यहां बाघ की मौजूदगी रही है। ट्रेप कैमरे में बाघ (Tiger) की तस्वीर कैद हुई है। संभावित स्थलों में ट्रैप कैमरा लगाकर लगातार उनके लोकेशन पर नजर रखी जा रही है। तथा गांव में लोगों को हिदायत दी जा रही है कि मवेशी चराने के नाम पर जंगल के भीतर प्रवेश न करें।
क्योंकि जंगलों में हिंसक वन्य प्राणियों की संख्या में बढ़ोत्तरी के साथ उनके द्वारा शिकार भी लगातार किया जा रहा है। अगर जानकारी की मणि तो ज्यादातर बाग भोरमदेव अभ्यारण क्षेत्र में जाड़े के मौसम में ही आते हैं और कुछ समय के बाद पुनः वे अपना रोक कान्हा की तरफ कर लेते हैं।

बाघ का शाही अंदाज और बदला दिनचर्या : जंगलों से लगे हुए गांव में रहने वाले बैगा आदिवासी व वनवासी हिंसक वन्य प्राणी बाघ, बाघिन व तेंदुएं की दहाड़ व लगातार मवेशियों को अपना शिकार बनाने से सतर्क हैं। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से बाघ की मौजदूगी के सूचना के बाद वनवासियों का दिनचर्या ही बदल गया है। सूर्य की रोशनी के दौरान ही गांव से लगे हुए जंगल के हिस्सों में ही मवेशियों को चराकर वापस लौट जा रहे है।

सुरक्षा कारणों से लोकेशन नहीं बताते : बाघ की सुरक्षा को लेकर जिले के वन विभाग अलर्ट मोड पर रहता है। यहीं कारण है कि वन विभाग द्वारा अभी भी बाघ के आने-जाने का कोई लोकेशन नहीं बताता। वर्तमान में भी बाघ के ट्रैप कैमरे में तस्वीर सामने आने के बाद लोकेशन शेयर नहीं किया गया है।

केवल, इतना ही जानकारी दी जाती है कि कबीरधाम जिले के दुरस्थ क्षेत्र के जंगल में बाघ की उपस्थिति जरूरी है। बाघ भी किसी एक जगह में सीमित नहीं रहता है। लगातार अपना लोकेशन बदलता है। इसी कारण से बाघ की स्थिति व अपडेट जानने के लिए अनेक ट्रैप कैमरे लगाए गए है। इन कैमरे की निगरानी भी बेहद गोपनीय रखी जाती है।
352 वर्ग किमी में फैला है अभ्यारण्य : भोरमदेव अभ्यारण्य 352 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। यह क्षेत्र बाघों के लिए वातानुकूल है। अभ्यारण्य कोर और बफर जोन में बंटा हुआ है। 192 वर्ग किलोमीटर में बफर जोन है जबकि 160 वर्ग किमी में कोर जोन। वन्य प्राणियों का शिकार रोकने के लिए वन विभाग ने अभ्यारण्य में सीसीटीवी और ट्रैप कैमरे लगाए हैं।

कबीरधाम जिले के भोरमदेव अभ्यारण्य का एक बड़ा हिस्सा एमपी से लगा हुआ है। कान्हा, अचानकमार, टाइगर कॉरिडोर के हिस्से में आता है। कान्हा में बाघ की मौजूदगी है। स्पिल ओवर पापुलेशन के कारण से ये बाघ भी बॉर्डर के क्षेत्र में प्रवेश कर लेते है। ऐसे में इन बाघो की वन विभाग द्वारा विशेष निगरानी की जा रहीं है।

चूड़ामणि सिंह, डीएफओ, कबीरधाम
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