Baramkela News : छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ (Private School Violation CG) जिले के बरमकेला विकासखंड मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित दो निजी स्कूलों में (नियमों की अनदेखी) और विभागीय निष्क्रियता का गंभीर मामला सामने आया है। इन स्कूलों को भले ही जिला शिक्षा अधिकारी से मान्यता प्राप्त है, लेकिन न तो अपार आईडी बनाई गई है और न ही (शिक्षा के अधिकार अधिनियम) का पालन हो रहा है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं की गई है, जिससे ग्रामीण पालकों में चिंता गहराने लगी है।
श्रीराम पब्लिक स्कूल, कालाखूंटा कर रहा मनमानी
शिक्षण सत्र 2024 से संचालित श्रीराम पब्लिक स्कूल, कालाखूंटा (Private School Violation CG) को जिला शिक्षा अधिकारी से मान्यता मिली है, लेकिन यहां अब तक बच्चों की (अपार आईडी) नहीं बनाई गई है। इसके अतिरिक्त, स्कूल प्रशासन द्वारा बच्चों का दाखिला भी बिना नियमानुसार प्रक्रिया के किया जा रहा है। इस विषय में नोडल प्राचार्य कैलाश पति नायक, शासकीय हाईस्कूल कालाखुंटा द्वारा उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट दी गई, लेकिन आज तक कोई एक्शन नहीं लिया गया।
आदर्श पब्लिक स्कूल डोंगरीपाली भी कम नहीं Private School Violation CG
दूसरे मामले में, आदर्श पब्लिक स्कूल डोंगरीपाली (Private School Violation CG) की चर्चा है, जिसे 2025 में मान्यता प्राप्त हुई थी। स्कूल में नामांकित बच्चों की संख्या लगभग 40 से 50 है। नियमों के अनुसार, किसी भी स्कूल में (UDISE Code), आरटीई के प्रावधान, खेल मैदान, फायर सेफ्टी, और भवन की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन यहां पर इन आवश्यक व्यवस्थाओं का अभाव है।
इसके बाद भी इन्हें संचालन की अनुमति मिल गई है। नोडल प्राचार्य की सूचना के बावजूद अब तक कोई जाँच या कार्रवाई नहीं हो सकी है। तत्कालीन डीईओ एल.पी. पटेल के कार्यकाल में ऐसी शिकायतों की जांच नहीं हो सकी थी, जिससे पालकों में असंतोष बना हुआ है।
यू-डाइस कोड के अभाव में छात्रवृत्ति से वंचित छात्र
प्रत्येक मान्यता प्राप्त स्कूल को (UDISE Code) दिया जाता है, जिसके बिना छात्रवृत्ति, प्रवेश और प्रमाण पत्र जैसे मूलभूत अधिकार प्रभावित होते हैं। ग्रामीण इलाकों में संचालित इन दोनों स्कूलों के पास यु-डाइस कोड नहीं था, जिससे बच्चों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही थी। बिना कोड के बच्चों का अगली कक्षा में प्रवेश मिलना भी मुश्किल हो जाता है। डोंगरीपाली स्कूल के संचालक को जब शिकायत की भनक लगी, तो दो दिन पहले ही कोड जारी करवाया गया, लेकिन बाकी खामियां अब भी जस की तस बनी हुई हैं।
प्राचार्य पद की पात्रता भी संदेह के घेरे में
निजी स्कूलों के प्राचार्य और संचालनकर्ता की योग्यता स्पष्ट रूप से तय होती है, लेकिन यहां इस मापदंड की पूरी तरह अनदेखी हो रही है। कालाखुंटा में एक अन्य निजी स्कूल में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है, जहां संचालक का भाई स्वयं शिक्षा विभाग से जुड़ा है। ऐसे में (शिक्षा के अधिकार अधिनियम) और गुणवत्ता की पूरी उपेक्षा हो रही है।
डीईओ को हमसे चाहिए शिकायत (Private School Violation CG)
निजी स्कूलों की जो भी शिकायत अथवा रिपोर्ट है, दोबारा भेजिए, हम जांच कराएंगे।
जेआर डहरिया, डीईओ, सारंगढ़-बिलाईगढ़