Organic Farming Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में (Organic Farming Success) जैविक खेती की ओर किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। भविष्य की पीढ़ियों को सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों को भी जैविक पद्धति से उगा रहे हैं। इस दिशा में राज्य के उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को निरंतर तकनीकी मार्गदर्शन और प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
ग्रामीण अंचलों में कई किसान (Organic Farming Success) जैविक खेती अपनाकर प्रेरणा बन रहे हैं। सक्ति जिले के ग्राम चिस्दा के कृषक बाबूलाल राकेश एक एकड़ क्षेत्र में बैंगन की सफल जैविक खेती कर रहे हैं। वहीं महिला किसान सुशीला गबेल अपने गृह बाड़ी में लौकी, कुंदरु और आम की जैविक खेती कर आसपास के किसानों के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। इन प्रयासों से न केवल किसानों की आय बढ़ रही है, बल्कि समाज में जैविक उत्पादों के प्रति विश्वास भी मजबूत हो रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि (Organic Farming Success) छत्तीसगढ़ जैसे कृषि प्रधान राज्य में जहां 70 से 75 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है, वहां रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग उत्पादन तो बढ़ाता है, लेकिन इसके दुष्परिणामस्वरूप लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बीमारियों का बढ़ता बोझ और पर्यावरण प्रदूषण गंभीर चुनौती बन चुका है।
इन परिस्थितियों में (Organic Farming Success) जैविक खेती किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है। इससे लागत में कमी आती है, मुनाफा अधिक मिलता है, मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है और प्रदूषण भी नहीं फैलता। साथ ही, जैविक उत्पादों के सेवन से लोगों का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
प्रदेश सरकार और उद्यानिकी विभाग किसानों को (Organic Farming Success) जैविक खेती अपनाने के लिए लगातार प्रशिक्षण और योजनाओं का सहारा दे रहे हैं। किसानों को जैविक खाद तैयार करने, वर्मी कम्पोस्ट बनाने और प्राकृतिक कीटनाशक उपयोग करने की विधि बताई जा रही है।
आज छत्तीसगढ़ के किसान (Organic Farming Success) जैविक खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह बदलाव न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधार रहा है, बल्कि कृषि और पर्यावरण दोनों के लिए एक नई दिशा तय कर रहा है।
