Chhattisgarh News : महानदी, छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले के सिहावा की पहाड़ियों (Mahanadi Awakening Abhiyan) से एक छोटी धारा के रूप में निकलती है। सदियों से यह नदी इस क्षेत्र की जीवनरेखा रही है। खेतों को सींचना, गांवों को बसाना और लोगों की रोज़ी-रोटी का सहारा बनने के बाद समय के साथ अतिक्रमण, गाद, गंदे नाले और अव्यवस्थित बहाव ने महानदी को गंभीर रूप से प्रभावित किया। कभी जीवन देने वाली यह नदी धीरे-धीरे सिकुड़ने लगी और अपनी स्वच्छता खो बैठी।
महानदी जागरण अभियान (MAA) की शुरुआत धमतरी कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने की। न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार यह अभियान जल शक्ति मिशन और राज्य की “मोर गांव, मोर पानी” योजना से प्रेरित है। इसका उद्देश्य केवल नदी का उद्गम स्थल ही नहीं, बल्कि महानदी के शुरुआती 12 किलोमीटर के हिस्से को पुनर्जीवित करना है। इस प्रयास से नदी का प्रवाह और पारिस्थितिकी दोनों में सुधार देखा जा रहा है (Mahanadi Awakening Abhiyan)।
अभियान का पहला चरण 2 मई से शुरू हुआ और इसमें आठ ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया। कर्नाटक की मेगा फाउंडेशन के तकनीकी सहयोग से सर्वेक्षण और कार्ययोजना तैयार की गई। प्रमुख कार्यों में नाले की गहराई बढ़ाना, किनारों को मजबूत करना, झाड़ियों की सफाई, कचरा हटाना और नदी के बहाव को व्यवस्थित करना शामिल था। धमतरी कलेक्टर मिश्रा ने कहा, “कई सालों से नदी की हालत खराब थी। अब इसका प्रवाह फिर से सक्रिय हो चुका है और साफ दिखाई देने लगा है।”
अभियान की सबसे बड़ी सफलता जनभागीदारी रही। ग्रामीणों ने प्रशासन के साथ मिलकर श्रमदान किया। सिहावा की सरपंच उषा किरण नाग ने कहा कि इस अभियान ने हमें हमारी प्राकृतिक धरोहर के प्रति जिम्मेदारी का अहसास कराया। अब हम महानदी से अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
नदी की सफाई तक सीमित नहीं Mahanadi Awakening Abhiyan
महानदी जागरण अभियान केवल नदी की सफाई तक सीमित नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरणीय संतुलन और सतत विकास है। अभियान के दौरान 4,000 नारियल के पौधे लगाए गए, 4 चेक डैम बनाने की योजना तैयार की गई, भूजल रिचार्ज के उपाय किए गए, मृदा संरक्षण के प्रयास किए गए और किसानों के लिए बेहतर सिंचाई सुविधाएँ विकसित की गईं। यह (Mahanadi Awakening Abhiyan) प्रयास भूजल रिचार्ज, फसल विविधीकरण और मृदा स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
अभियान का दूसरा चरण पर्यटन और रोज़गार पर केंद्रित है। इसमें इको-टूरिज्म सर्किट विकसित किए जा रहे हैं, मानसून में बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया गया और किसानों को सतत कृषि(Mahanadi Awakening Abhiyan) अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। वनों के संरक्षण के लिए समुदाय आधारित प्रबंधन पर भी जोर दिया जा रहा है।
महानदी का जल क्षेत्र छत्तीसगढ़ और ओडिशा दोनों के लिए अहम है। धमतरी का यह प्रयास नदी संरक्षण का मॉडल बन चुका है और देश के अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणा बन सकता है। जैसे-जैसे महानदी फिर से साफ और स्वच्छ बह रही है, धमतरी के लोगों में गर्व और उम्मीद की नई लहर देखी जा रही है।
