रायपुर। शराब (liquor) का हैंगओवर सिर्फ पीने वालों को ही नहीं, कभी-कभी बेचने वालों को भी चपेट में ले लेता है। छत्तीसगढ़ इसका ताजा उदाहरण है। आम चुनाव से पहले शराब बेचने की प्रक्रिया जिस तरह विवाद के घेरे में है, उसने कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है। छत्तीसगढ़ में चुनावी बिगुल बज चुका है। ऐसे में घोटाले पर सियासत भी खूब हो रही है। शराब घोटाला विधानसभा चुनाव में असर डाल सकती है।
ईडी ने मार्च 2023 में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत कई जगहों पर एक साथ छापेमारी की थी। इसके बाद शराब घोटाले के बारे में खुलासा हुआ। ईडी के मुताबिक 2019-2022 तक 2000 करोड़ रुपए का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ में हुआ है। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अब तक मुख्य रूप से अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि मार्च 2019 में अनवर ने छत्तीसगढ़ के शराब ठेकों पर अवैध शराब बेचने के लिए सभी ठेकेदारों के साथ मीटिंग किया। इस मीटिंग में समानांतर तरीके से व्यवस्था चलाने की बात कही।
ईडी के मुताबिक 2019 से 2022 तक शराब (liquor) ठेकों पर 40 फीसदी अवैध शराब बेची गई। इसके बदले अनवर ने ठेकेदारों से कमीशन लिया। ईडी के मुताबिक कमीशन के पैसे को अनवर ऊपर तक पहुंचाता था यानी अनवर इस पूरे फर्जीवाड़े में अंतिम लाभार्थी नहीं था। बता दें कि अनवर ढेबर रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर के भाई है।
ईडी के मुताबिक राज्य सरकार शराब (liquor) बेचने के लिए पूरे प्रदेश में 800 दुकानों को लाइसेंस दिया है। ढेबर ने मार्च 2019 में इन सब ठेकेदारों के साथ एक मीटिंग की और अवैध शराब सप्लाई करने की रणनीति तैयार की। अनवर के इस काम में आबकारी विभाग के अधिकारी अनिल टुटेजा ने भी मदद की। ईडी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सरकारी ठेकों पर शराब सप्लाई का काम छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड करती है। अनवर के कहने पर इस विभाग की कमान अरुणपति त्रिपाठी को सौंपी गई। इसके बाद अवैध सप्लाई का काम ने जोर पकड़ा।
ईडी के मुताबिक शराब (liquor) के बोतलों पर फर्जी तरीके से स्टीकर लगाकर उसे दुकानों पर भेजा जाता था। इसके बदले हर बोतल पर 75 से 150 रुपए का कमीशन वसूला जाता था। कच्चे शराब के जरिए भी वसूली का काम किया जा रहा था।छत्तीसगढ़ की 90 सीटों पर विधानसभा के चुनाव होने हैं। 2018 में कांग्रेस 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी को 14 सीटें ही मिल पाई थी। इस शराब घोटाले की चर्चा पूरे राज्य में है। शहर से लेकर गांव तक ग्रामीण इसकी चर्चा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार सत्ता में शराबबंदी करने का वायदा कर आयी थी, लेकिन सरकार पर 4 सौ 5 सौ करोड़ नहीं बल्कि सीधे सीधे 2 हजार करोड़ रूपए घोटाले का आरोप लगा है। ऐसे में इस चुनाव में यह मुद्दा कांग्रेस के लिए गले की फांस बन सकती है।