Chhattisgarh News : 2004 बैच छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अमित कटारिया (IAS Amit Katariya) की इन दिनों जमकर चर्चा हो रही है। वे लगभग 7 साल बाद छत्तीसगढ़ लौटे हैं। वे प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में सेवा दे रहे थे। छत्तीसगढ़ में उन्होंने ज्वाइनिंग दे दी है, जल्द ही उन्हें बड़ा विभाग मिलने की चर्चा है।
अमित कटारिया अपनी दबंग कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। बात जब विकास कार्य और लोगों के हित में हो तो राजनेताओं से भी भिड़ने में पीछे नहीं हटते। उनकी इसी कार्यशैली से छत्तीसगढ़ के लोग कायल हैं। आईएएस कटारिया की प्रदेश में तगड़ी फैन फ्लोइंग है।
आईएएस अमित कटारिया (IAS Amit Katariya) का जन्म 15 अक्टूबर 1979 को हरियाणा के गुणगांव ( गुरुग्राम) में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल आरके पुरम से पूरी की है।
फिर आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक किया। बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें देश विदेश की नामी कंपनियों से लाखों के पैकेज पर नौकरी का ऑफर मिला था। लेकिन वे आईएएस बनना चाहते थे। इसलिए सभी ऑफर ठुकरा दिया।
अमित कटारिया के पिता सरकारी स्कूल के सेवानिवृत शिक्षक और भाई बिजनेसमैन हैं। उनका पारिवारिक बिजनेस काफी बड़ा है। कटारिया के परिवार का दिल्ली, गुणगांव के आस पास रियल स्टेट का कारोबार है और साथ ही शॉपिंग मॉल और कॉम्प्लेक्स भी हैं। अमित कटारिया की पत्नी अस्मिता हांडा एक प्रोफेशनल पायलट हैं।
रायपुर, नवा रायपुर, रायगढ़, जगदलपुर को संवारने में बड़ा हाथ : अमित कटारिया की इमेज एक सख्त प्रशासक की है। वे रायपुर नगर निगम आयुक्त, रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ रहें है। आरडीए सीईओ रहते हुए उन्होंने नया रायपुर के विकास के लिए काफी काम किया।
वर्षों से रुकी कर्मचारियों की पदोन्नति करवाई। आरडीए की स्थिति बदली और नया रायपुर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वे कवर्धा, रायगढ़, जगदलपुर जिलों के कलेक्टर रहे हैं। रायगढ़ कभी काफी विकास अमित कटारिया ने किया। इस क्रम में भेजा कब्जा हटवाने के दौरान हुए सत्ताधारी भाजपा नेताओं से भी भिड़ गए थे और उन्हें भी नहीं बख्शा। रायपुर में भी कब्जा हटवाने और तोड़वाने को लेकर भाजपा नेताओं से भीड़ गए थे। जबकि सरकार भाजपा की ही थी।
इन विवादों में भी फंसे कटारिया
रायगढ़ में साल 2011 के जुलाई महीने की घटना है। उस समय कटारिया वहां के कलेक्टर थे। वरिष्ठ भाजपा नेता रोशनलाल अग्रवाल को उन्होंने अपने ऑफिस से डांटते हुए ‘गेट आउट’ कहकर भगा दिया था। भाजपा नेता रायगढ़ के जूटमिल क्षेत्र में गौरवपथ के निर्माण के दौरान अतिक्रमण हटाने में गरीब पीड़ितों का पक्ष रखने के लिए कलेक्टर के चैंबर में गए थे।
इसी तरह 2009 में नगर निगम कमिश्नर रहते हुए अमित कटारिया (IAS Amit Katariya) शहर के मेयर और भाजपा नेता सुनील सोनी से भिड़ गए थे। निगम की ही एक बैठक में दोनों के बीच बहस हो गई थी।
कटारिया जब रायपुर नगर निगम के कमिश्नर थे तब रातोंरात अवैध निर्माण तुड़वा देते थे। नेताओं का प्रेशर होता था तो उनसे भिड़ जाया करते थे। वो पैदल चलते हुए शहर का निरीक्षण करते थे।
साल 2015 के मई माह में बस्तर दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी आए। तब डॉ रमन सिंह सीएम थे। बस्तर के कलेक्टर अमित कटारिया थे। एयरपोर्ट पर PM का एक खास ब्रांड का महंगा काला चश्मा लगाए स्वागत किया गया। इसे लेकर खूब बवाल हुए। उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से नोटिस जारी किया गया था।
1 रुपये लेते थे सैलेरी : देश के सबसे अमीर अफसर की बात की जाए तो उनमें अमित कटारिया (IAS Amit Katariya) का नाम भी शुमार है। कटारिया भारत में इसलिए फेमस है कि वह सर्विस के शुरू-शुरू में 1 रुपए के तौर पर सैलरी लेते थे। उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा था कि वह सिस्टम में बदलाव लाने के लिए आईएएस अफसर बने हैं पैसे कमाने के लिए नहीं। हालांकि 1 रुपये की सैलेरी शुरूआत दिनों में ही लेते थे।