महासमुंद. दूध के सही दाम न मिलने से महासमुंद जिले (Chhattisgarh News) समेत प्रदेश के कई इलाकों में पशुपालन लगभग खत्म होने की राह पर था. महासमुंद जिले के कुछ लोगों ने हार नहीं मानी. कुछ ऐसा ही हाल महासमुंद जिले के गोड़बहाल गांव के सरपंच व ग्रामीणों का है. जिन्होंने कभी हार नहीं मानी और दूध से पनीर, मिठाई, खोआ पेड़ा जैसे अन्य उत्पाद तैयार करके अच्छी आमदनी कमा रहे हैं.
महासमुंद जिले (Chhattisgarh News) के गोड़बहाल पंचायत के सरपंच सादराम पटेल ने बताया कि उन्होंने पहल कर पांच समिति बनाया. दूध से बनने वाले उत्पादों कुछ ग्रामीणों को ट्रेनिंग दिलायी और आज ये सभी दुग्ध उत्पादों से बनी सामग्री पनीर, खोआ, दही, पेड़ा और रबड़ी को बेचकर अच्छी कमाई कर रहे है.
पिथौरा में दुग्ध उत्पाद विक्रय केंद्र नाम से दुकान भी डाली है.गोड़बहाल गौठान में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क यानी RIPA में दुग्ध प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया गया है. महासमुंद जिला मुख्यालय से लगभग 63 किमी. दूर गोड़बहाल गांव है. यहां पुरुषों ने पांच सहकारी समिति बनाई है.
एक समिति में 70 ग्रामीण जन जुड़े है. इस समिति से जुड़े गोड़बहाल गांव के ग्रामीण बताते हैं, हमारे गांव में गाय, भैंस का दूध 25 रुपए लीटर से भी कम बिक रहा था. समिति अधिक दाम में ख़रीद रही है. समिति से जुड़े लोगों को फ़ायदा हो रहा है.
हर महीने कमा रहे हैं हजारों रुपए
दुग्ध उत्पाद सामग्री जो शुद्ध पनीर बेच रहे वो 340 रुपए किलो, खोवा 320 रुपए, पेड़ा 360 रुपए, दही 70 और रबड़ी 340 रुपए किलो की दर से बेच रहे है. माह में सब खर्च के बाद 70 से 80 हजार का मुनाफ़ा हो रहा है. यानी की अच्छी कमाई हो जाती है. इसके अलावा शादी-विवाह या अन्य सामाजिक कार्यक्रम में दुग्ध उत्पाद सामग्री की मांग अधिक होती है.
70 से 80 हजार का मुनाफ़ा
महासमुंद जिला आकांक्षी ज़िला में शामिल है. दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य विकास निगम ने हाथ बढ़ाया है. जो निश्चित तौर पर पशुपालकों के लिए मददगार साबित हो रहा है. गौठान गोड़बहाल रीपा में दुग्ध प्रसंस्करण केंद्र इसका उदाहरण है. निगम की ओर से दुधारू पशुपालन करने के लिए लोन भी मुहैया कराई जा रही है.
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