Kabirdham News : छत्तीसगढ़ के कवर्धा में एक ऐसा शिवलिंग है, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक है. कवर्धा नगर के सिद्धपीठ उमापति पंचमुखी बूढ़ा महादेव (Budha Mahadev) मंदिर में आदि काल से स्वयंभू स्थापित पंचमुखी शिवलिंग मौजूद है. संकरी नदी के तट पर आदि काल से स्थापित पंचमुखी शिवलिंग वर्तमान में उमापति पंचमुखी बूढ़ा महादेव के नाम से जाना जाता है.
बता दें की कवर्धा रियासत के प्रथम राजा महाबली दीवान का महल इसी क्षेत्र में बना था, जिस स्थान पर पंचमुखी शिवलिंग है. यह जगह साधु-संतों की तपोभूमि रही है. बूढ़ा महादेव मंदिर में दिव्य पंचमुखी शिवलिंग (Budha Mahadev) रियासत काल से भी पूर्व का स्वयंभू शिवलिंग है. इसी वजह से यह काफी प्रसिद्ध है और इसका खास महत्व भी है.
मंदिर में पांच मुखवाले पांच शिवलिंग हैं. एक-एक शिवलिंग में पांच-पांच मुख हैं. इस तरह से यहां कुल 25 लिंगों का अद्भुत शिवलिंग है. सांख्य दर्शन के अनुसार भगवान शंकर पंचभूत अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु हैं. पंचमुखी बूढ़ा महादेव के शिवलिंग भी इसी तरह हैं. माना जाता है कि यह दुर्लभ और अद्वितीय शिवलिंग है, जिसके चलते ही इसकी ख्याति दूर दूर तक है.
दिव्य पंचमुखी शिवलिंग (Budha Mahadev) में अनवरत जलाभिषेक और बार-बार हाथों के स्पर्श से शिवलिंग का क्षरण होने लगा था. पांच मुख वाले इस शिवलिंग में एक मुख का लगभग क्षरण हो चुका है और दूसरे पर भी तेजी से क्षरण हो रहा है. पांचों मुखों की आकृति के विलोपित होने की आशंका थी. ऐसे में इसके संरक्षण को लेकर पहल की गई और इस पर तांबे का कवर लगाया गया है, ताकि श्रद्धालु इसे ऊपर से ही स्पर्श कर सकें.
महाशिवरात्रि और श्रावण मास में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगा रहती है. इतना कि इस जगह पर मेला जैसा माहौल रहता है. लंबी कतार के बाद श्रद्धालुओं को शिवलिंग के दर्शन हो पाते हैं. स्थानीय लोगों के साथ-साथ लोग दूर-दूर से भी यहां पहुंचते हैं. श्रावण मास में तो बूढ़ा महादेव कांवड़ियों के लिए प्रमुख जलाभिषेक स्थान रहता है.