Ayurveda Temple : देशभर में 18 अक्टूबर को धनतेरस (Dhanteras) का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु के अवतार भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. इसी कारण धनतेरस के दिन विशेष तौर पर भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है, क्योंकि उन्हें निरोग और समृद्धि का देवता माना गया है.
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भारत में कई मंदिर भगवान धन्वंतरि को समर्पित हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक अनोखा (Ayurveda Temple) है, जहां सिर्फ दर्शन मात्र से रोगों का निवारण होने की मान्यता है. वाराणसी के सुड़िया गांव में स्थित यह मंदिर वैद्यराज का निजी स्थान माना जाता है. यहां सालभर में केवल एक दिन यानी धनतेरस पर ही मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और विशेष पूजा होती है. इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु रोगों से छुटकारा पाने के लिए भगवान को जड़ी-बूटियां अर्पित करते हैं.
इस मंदिर का इतिहास भी बेहद प्राचीन है. लगभग 300 साल से भी पुराना यह (Ayurveda Temple) अष्टधातु की मूर्ति का धाम है. मूर्ति में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश, सुदर्शन चक्र और शंख धारण किए खड़े हैं, जो अत्यंत मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं. कहा जाता है कि यह देश का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान धन्वंतरि अपने वास्तविक स्वरूप में विराजमान हैं. इसी कारण इस मंदिर की मान्यता पूरे भारत में है और भक्त धनतेरस पर यहां आकर रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं.
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इस मंदिर में पीढ़ियों से राजवैद्य स्वर्गीय शिवकुमार शास्त्री का परिवार पूजा-अर्चना करता आ रहा है. वर्तमान में भी उसी परिवार के लोग मंदिर और पूजन कार्य को निभा रहे हैं. भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक और प्रसारकर्ता माना जाता है. उन्होंने आयुर्वेद को सरल और व्यवस्थित करने के लिए इसे अष्ट-शास्त्रों में विभाजित किया था, जिनमें भूत विद्या (मनोचिकित्सा), शल्य (सर्जरी), सायनतंत्र (रसायन विज्ञान), शालक्य (कान, नाक, गला), कौमारभृत्य (बाल रोग), वाजीकरण तंत्र (प्रजनन स्वास्थ्य), काय चिकित्सा (सामान्य चिकित्सा) और अगदतंत्र (विष विज्ञान) शामिल हैं.
आज भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान कई रूपों में इन पद्धतियों का अनुसरण करता है, जिनका आधार पहले ही भगवान धन्वंतरि (Ayurveda temple) आयुर्वेद में बता चुके हैं. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा हिमालय से लाई गई जड़ी-बूटियों से की जाती है. श्रद्धालु मानते हैं कि इस (Ayurveda temple) में उनकी प्रार्थनाएं अवश्य स्वीकार होती हैं.
