Monday, October 14, 2024

Assembly Election 2023 : विधानसभा में बीजेपी को पूर्व सीएम का ही सहारा! केंद्रीय मंत्री के एक इशारे से साफ हो गई चुनाव की रणनीति!

Rajsthan Assembly Election 2023 :  राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2023) होने हैं। इससे पहले बीजेपी खेमे में मुख्यमंत्री फेस को लेकर हलचल तेज है। हालांकि, पार्टी आलाकमान की ओर से अभी तक इस मसले पर कोई स्पष्ट संदेश नहीं आया है। लेकिन पार्टी अभी भी वसुंधरा राजे के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने पर मजबूर है या फिर बदलाव के मूड में नहीं है। इसका संकेत शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी दिया।
दरअसल, शुक्रवार को अमित शाह (Assembly Election 2023) उदयपुर के दौरे पर थे। यहां पर उनकी सभा से जुड़ा हुआ एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें अमित शाह अपने भाषण से पहले नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को इशारा कर वसुंधरा राजे को भाषण के लिए कहते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद वसुंधरा राजे ने मंच से गहलोत सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने राजस्थान सरकार पर तीखे सवाल करते हुए कहा कि यहां अब सरकार खुद का उत्थान करने में लगी हुई है। ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं क्यों बीजेपी आज भी वसुंधरा राजे के नाम पर राजस्थान में चुनाव लड़ना चाहती है? साथ ही बीजेपी के लिए वसुंधरा राजे विस चुनाव में सेफ ऑप्शन के रूप में क्यों है?

राजस्थान की जनता में पकड़ : वसुंधरा राजे 2013 से 2018 के बीच राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। 2013 में बीजेपी को राजस्थान की सत्ता दिलाने (Assembly Election 2023) में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 2013 के चुनाव में गहलोत सरकार को सत्ता से हटाने के लिए उन्होंने ‘सुराज संकल्प यात्रा’ निकाली। इस दौरान पूरे राज्य से उनको भरपूर समर्थन मिला। इसके बाद राज्य में बीजेपी की सरकार आई और पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद सौंप दिया। इसके बाद राज्य की सियासत में उनका दबदबा और भी ज्यादा बढ़ा।

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बीजेपी की कोशिश है कि वे एक बार फिर राजस्थान में रोटी पलट चुनाव का फायदा उठाकर प्रदेश की सियासत में अपनी वापसी करवाएं। इसके लिए वसुंधरा राजे एक बेहतरीन विकल्प हैं। राजस्थान में वसुंधरा राजे का सियासी दबदबा केवल झालावाड़ क्षेत्र में नहीं है, बल्कि उनकी सियासत का सिक्का पूरे राजस्थान में चलता है। प्रदेश में बीजेपी की ओर से वह एक मात्र ऐसी नेता हैं, जिन्हें पूरे प्रदेश की जनता से समर्थन मिलता है। राजघराने से ताल्लुक रखने वाली वसुंधरा राजे राजस्थान के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। साथ ही, उन्हें राजस्थान की राजनीति का लंबा अनुभव भी है।

 

बीजेपी के सामने चुनौती : राजस्थान (Assembly Election 2023) में कुछ नेता ऐसे हैं जिन्हें केवल एक क्षेत्र तक सीमित समर्थन मिलता है। ऐसे में वे नेता राज्य में मुख्यमंत्री पद की मांग नहीं कर सकते हैं। साथ ही, जब राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी, तब भी पार्टी की ओर से कोई बेहतरीन नेता राज्य की सियासत से उभर कर सामने नहीं आया। बीजेपी की परेशानी राजस्थान में यह भी है कि कोई भी नेता जाति के हिसाब से भी राज्य की सियासत में फिट नहीं बैठता है। जिस पर पार्टी और राज्य की जनता भरोसा करें। लेकिन वसुंधरा राजे के साथ ऐसा नहीं है। उन्हें राज्य की जनता और प्रदेश पार्टी नेताओं का भी समर्थन है।

इसी साल चार मार्च की बात है, जब वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर उनके शक्ति प्रदर्शन की गूंज जयपुर से राजधानी दिल्ली तक पहुंच गई। वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर करीब 10 सांसद, 45 विधायक, 103 पूर्व विधायक-सांसद मौजूद रहे। ऐसा दावा उनके समर्थकों ने किया था। उस दिन वसुंधरा राजे के समर्थक ने बताया कि इससे साफ हो जाता है कि राज्य में वसुंधरा राजे से कोई बड़ा नेता नहीं है। हालांकि बाद में वसुंधरा राजे ने सफाई देते हुए कहा कि यह शक्ति प्रदर्शन नहीं बल्कि भक्ति प्रदर्शन है। तब उन्होंने मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर कहा था कि बीजेपी का संसदीय बोर्ड मुख्यमंत्री को लेकर फैसला करेगी और वही मान्य होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के विधायकों में भी वसुंधरा की पकड़ अन्य नेताओं के मुकाबले ज्यादा है।

बीजेपी के पास वसुंधरा फैक्टर : राजस्थान में (Assembly Election 2023) वसुंधरा राजे एक मात्र ऐसी नेता जो सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ खुलकर विरोध करती है। आज भी उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत से ही गहलोत सरकार पर जमकर हमला बोला। इसके उलट कांग्रेस के पास वसुंधरा राजे पर पलटवार करने के लिए कोई ठोस वजहें नहीं है। जिससे पूरे प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ हवा बन सके। लेकिन इस बार कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक बेहतरीन चाल चली। कांग्रेस ने अपनी यात्रा की एंट्री राजस्थान के झालावाड़ इलाके से करवाई थी। यह क्षेत्र वसुंधरा राजे का गढ़ है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान यहां पर काफी बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी थी। हालांकि भीड़ वोट में कितना कन्वर्ट हो पाती है यह देखने वाली बात होगी।

इस क्षेत्र से वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह सांसद है। इस क्षेत्र में जब 2013 का चुनाव हुआ था, तब बीजेपी को यहां पर बंपर जीत मिली थी। साथ ही, इस क्षेत्र में भी अगर बीजेपी को जीतना है, तो वसुंधरा राजे के बिना यहां पर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। कांग्रेस से अगर बीजेपी को भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव राज्य से खत्म करना है तो वसुंधरा राजे एकमात्र विकल्प नजर आती हैं।

 

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