Anganwadi worker misconduct: ग्राम- छुइहा (रानीगढ़) थाना बिलाईगढ़, जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ के आंगनबाड़ी केंद्र में अनियमितता का आरोप लगाह है, पूर्व सरपंच ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका पर मनमानी का आरोप लगाया है। साथ ही पांच साल से केंद्र में खाना नहीं बनाने का आराेप लगाया है। उनका कहना है केंद्र में लापरवाही के चलते यह योजना पूरी तरह से विफल होती नज़र आ रही है। सरकार द्वारा चलाई जा रही आंगनबाड़ी योजनाएं बच्चों के पोषण, शिक्षा और समग्र विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। लेकिन जब इन योजनाओं का ज़मीनी स्तर पर सही ढंग से पालन नहीं होता, तो इसका सीधा असर उन मासूम बच्चों पर पड़ता है, जिनकी पूरी तरह से इन सेवाओं पर निर्भरता होती है।
प्रमिला बंजारे और सहायिका पर लगे गंभीर आरोप (Anganwadi worker misconduct)
इस केंद्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रमिला बंजारे और सहायिका विजयकुमारी पर आरोप (Anganwadi worker misconduct) है कि वे वर्षों से अपनी ड्यूटी के प्रति गंभीर नहीं हैं। कार्यकर्ता अक्सर बिना सूचना के अनुपस्थित रहती हैं और ड्यूटी समय में निजी कार्यों में व्यस्त देखी गई हैं। यह लापरवाही केवल एक-दो दिन की नहीं, बल्कि कई वर्षों से चली आ रही है।
पांच साल से बंद पोषण योजना
सबसे चौंकाने वाली बात (Anganwadi worker misconduct) यह है कि शिकायतकर्ता और ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच हरिवंश कुमार टंडन ने बताया कि पिछले पाँच वर्षों से इस केंद्र में बच्चों के लिए खाना नहीं बनाया गया है। एक वीडियो में साफ दिख रहा है कि रसोई में धूल जमी है और पूरा परिसर वीरान है। हमारी टीम के औचक निरीक्षण में भी एक भी बच्चा केंद्र में मौजूद नहीं था।
दीमकों ने बता दी सच्चाई
खाने के लिए जो लकड़ियाँ वर्षों पहले इकट्ठी की गई थीं, वे अब दीमक की भेंट चढ़ चुकी हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि रसोई में कई सालों से कोई गतिविधि नहीं हुई। वहीं दूसरी ओर, कार्यकर्ता ड्यूटी के समय निजी कामों के लिए बाहर चली जाती हैं और बिना सूचना के छुट्टी लेती हैं। इस पूरे मामले (Anganwadi worker misconduct) की शिकायत आंगनबाड़ी सुपरवाइज़र और पूर्व सरपंच द्वारा की जा चुकी है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
बच्चों के अधिकारों का हनन
इस तरह की लापरवाही न केवल सरकारी संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि उन गरीब बच्चों के अधिकारों का भी हनन है जिन्हें उचित पोषण और प्रारंभिक शिक्षा मिलनी चाहिए। यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो यह न केवल एक केंद्र की विफलता होगी, बल्कि पूरी योजना की साख पर सवाल खड़े करेगा।
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