Camel Wedding in Rajasthan : ऊंटों पर सजी बारात, 14 KM का सफर तय कर दुल्हन के घर पहुंचा दूल्हा

Indian Traditional Wedding : शादी के मौजूदा दौर में जहां लग्जरी कारें, महंगे इंतजाम और दिखावे की होड़ तेजी से बढ़ रही है, वहीं राजस्थान (Camel Wedding in Rajasthan) में एक विवाह समारोह ऐसा भी देखने को मिला जिसने लोगों को पुराने दौर की याद दिला दी। यह शादी अपनी सादगी और परंपरा के कारण खास बन गई, क्योंकि यहां बारात किसी आधुनिक वाहन से नहीं, बल्कि ऊंटों पर निकाली गई। दूल्हा खुद ऊंट पर सवार था और उसके साथ 11 ऊंटगाड़ियों पर बाराती चलते नजर आए। यह दृश्य मानो किसी पुराने राजस्थानी लोकचित्र को जीवंत कर रहा था।

यह अनोखा विवाह (Camel Wedding in Rajasthan) राजस्थान के झुंझुनूं जिले के बिसाऊ कस्बे के निवासी सीताराम जालवाल के बेटे तरुण का था। तरुण का विवाह सीकर जिले के रामगढ़ निवासी गोपीचंद छापोला की बेटी मनीषा से संपन्न हुआ। शादी की सबसे खास बात यह रही कि बारात 11 ऊंटों पर सवार होकर निकली और करीब 14 किलोमीटर का सफर तय करते हुए लगभग ढाई घंटे में दुल्हन के घर पहुंची। रास्ते भर लोग इस नजारे को देखकर रुकते रहे, मोबाइल से वीडियो बनाते रहे और बीते जमाने की परंपराओं को याद करते रहे।

इस अनोखी पहल के पीछे दूल्हे के दादा की पुरानी इच्छा थी। परिवार के बुजुर्गों के अनुसार, पहले इस क्षेत्र में ऊंटों पर बारात निकलना आम बात हुआ करती थी। दूल्हे के दादा और परदादा की शादियां भी इसी परंपरा के अनुसार हुई थीं। समय के साथ साधन बदले और परंपराएं पीछे छूटती गईं, लेकिन परिवार चाहता था कि एक बार फिर उस परंपरा को जिया जाए, जिसे बुजुर्गों ने देखा और निभाया था।

दूल्हे के पिता सीताराम जालवाल बताते हैं कि यह फैसला अचानक नहीं लिया गया था। करीब पांच महीने पहले ही तय कर लिया गया था कि तरुण की बारात ऊंटों पर ही निकलेगी। इसके लिए ऊंटों की व्यवस्था, रास्ते की योजना और समय-सारिणी पर विशेष ध्यान दिया गया। जैसे-जैसे लोगों को इस बारे में जानकारी मिली, उत्सुकता बढ़ती गई। लोग फोन कर बारात का समय और मार्ग पूछते रहे।

शादी (Camel Wedding in Rajasthan)के दिन सुबह से ही बिसाऊ में उत्सव का माहौल बना हुआ था। ऊंटों को पारंपरिक तरीके से सजाया गया। रंग-बिरंगी झालरें, कपड़े और साज-सज्जा ने ऊंटों की शोभा बढ़ा दी। दूल्हा तरुण पारंपरिक परिधान में ऊंट पर सवार हुआ। ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ बारात धीरे-धीरे रामगढ़ की ओर रवाना हुई। 14 किलोमीटर के इस सफर में कई स्थानों पर लोग खड़े होकर इस अनोखी बारात को देखते रहे। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई इस दृश्य से प्रभावित नजर आया। किसी ने इसे बीते समय की यादों से जोड़ा तो किसी ने इसे संस्कृति की पहचान बताया।

Camel Wedding in Rajasthan बारात का भव्य स्वागत किया

रामगढ़ पहुंचने पर दुल्हन के गांव में भी बारात का भव्य स्वागत किया गया। ऊंटों पर सवार बारातियों को देखने के लिए आसपास के गांवों से भी लोग उमड़ पड़े। पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ दूल्हे का स्वागत हुआ और विवाह की सभी रस्में विधि-विधान से संपन्न की गईं। सीताराम जालवाल का कहना है कि ऊंटों पर बारात निकालने के विचार को लोगों ने खूब सराहा। उनका मानना है कि आधुनिकता जरूरी है, लेकिन अपनी परंपराओं को सहेज कर रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

दूल्हा तरुण भी इस अनुभव से बेहद खुश नजर आए। उन्होंने बताया कि बचपन से ही दादा और परदादा से ऊंटों पर बारात की कहानियां सुनते आए थे। आज जब लोग कार, बस या हेलिकॉप्टर से बारात निकालते हैं, ऐसे समय में दादा की इच्छा पूरी कर पाना उनके लिए गर्व की बात है। तरुण का कहना है कि इस तरह की परंपराओं को आगे बढ़ाना ही हमारी संस्कृति को जीवित रखता है।