Mamta Kulkarni Kinnar Akhara Mahamandaleshwar : प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni Kinnar Akhara) ने विधिपूर्वक संन्यास दीक्षा लेने के बाद किन्नर अखाड़ा में शामिल होने की घोषणा की है। उनके पट्टाभिषेक के बाद, किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस बात की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ममता कुलकर्णी अब किन्नर अखाड़े का हिस्सा बन गई हैं और उनका नाम महामंडलेश्वर श्री यामाई ममता नंद गिरी रखा गया है। पिछले दो से ढाई साल से वे हमारे साथ थीं, और हमारे पूरे अखाड़े ने उन्हें जोड़ने के इस निर्णय का समर्थन किया।
महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता (Mamta Kulkarni Kinnar Akhara) ने कहा, “यह सृष्टि शिवशक्ति से उत्पन्न हुई है। मैंने कई वर्षों तक तप किया है। मेरे गुरु चैतन्य गगन गिरी जूना अखाड़े से हैं। मैं पिछले दो साल से किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के संपर्क में थी।
जगतगुरु महेंद्र गिरि जी ने मेरी परीक्षा ली कि मुझे ज्ञान, ध्यान, तप और ब्रह्म विद्या के बारे में कितना ज्ञान है। मुझे नहीं पता था कि मेरी वर्षों की तपस्या का इम्तिहान पिछले तीन दिनों से चल रहा है, और मैं इसमें पूरी तरह सफल रही। मुझे महामंडलेश्वर बनने का आमंत्रण मिला है।”
मुझे बॉलीवुड में वापस नहीं जाना (Mamta Kulkarni Kinnar Akhara )
मैं बॉलीवुड में लौटने का इरादा नहीं रखती। ममता ने बताया कि संन्यास लेने के लिए तीन मार्ग होते हैं – वामपंथ, दक्षिण पंथ और मध्यम पंथ। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी इसी मध्यम पंथ की महामंडलेश्वर हैं। मैंने पिछले 23 वर्षों से ध्यान और तप किया है।
मैं आध्यात्मिक जीवन के माध्यम से स्वतंत्रता की खोज में आई हूं, और मुझे लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से बेहतर कोई और मार्गदर्शक नहीं मिला। मैं सांसारिक जीवन में रहते हुए भी आध्यात्मिकता की ओर बढ़ना चाहती थी। इसलिए मैंने 23 साल पहले बॉलीवुड को छोड़ दिया था, और अब वहां लौटने का कोई सवाल ही नहीं है।
ममता ने बताया- क्या होता है सनातन का मतलब (Mamta Kulkarni Kinnar Akhara )
ममता ने सनातन के अर्थ को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि सनातन का मतलब है जो दिव्य है, जो दैवीय था और हमेशा रहेगा। वह इसे स्वतंत्र रूप से मध्यम मार्ग में रहते हुए फैलाने का संकल्प लेती हैं। उन्होंने बताया कि यह कुंभ मेला 144 साल बाद आयोजित हो रहा है, और वह 12 साल पहले भी यहां आई थीं, तब भी पूर्ण कुंभ था।
इस बार उनकी यात्रा का उद्देश्य विश्वनाथ मंदिर था, लेकिन वहां के पंडित अचानक गायब हो गए। तब उन्हें ऐसा लगा जैसे आदिशक्ति ने उन्हें संकेत दिया हो कि आज शुक्रवार है, और अब उन्हें किसी चीज का इंतजार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 23 साल के तप का सर्टिफिकेट तो उन्हें मिलना चाहिए।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि अगर बॉलीवुड (Mamta Kulkarni Kinnar Akhara) में धर्म के प्रचार-प्रसार से संबंधित कोई काम मिलता है, तो वह उसे करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें कहीं भी बंधन में नहीं रहना पड़ेगा, क्योंकि मध्यम मार्ग का किन्नर अखाड़ा पूरी तरह से स्वतंत्र है।उन्होंने कहा, “इससे बेहतर और क्या हो सकता है? मैं इस संस्था और सनातन धर्म के लिए जो भी कर सकूंगी, उसके लिए समर्पित हूं। वास्तव में, मैं कई वर्षों से सनातन धर्म के प्रति समर्पित हूं। मेरी जो भी कमाई होगी, मैं उसे यहां इनके चरणों में अर्पित करूंगी।”
उन्होंने आगे कहा कि अगर बॉलीवुड में धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कोई प्रस्ताव आता है, जैसे कि हेमा मालिनी और अरुण गोविल के काम, तो वह ऐसे कार्य कर सकती हैं। किन्नर अखाड़े के सभी सदस्यों को इस प्रकार के कार्य करने की पूरी स्वतंत्रता है।