CG Narhara Waterfall : धमतरी जिले में स्थित नरहरा धाम, घने जंगलों के बीच 22 फीट ऊँची चट्टानों से गिरते दूधिया रंग के पानी के अद्भुत दृश्य के लिए प्रसिद्ध है। इसे ऋषि मारकंडे की तपोभूमि के रूप में भी जाना जाता है।
नगरी विकासखंड के ग्राम झूरातराई-कोटरवाही के निकट स्थित इस प्राकृतिक जलप्रपात को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किया गया है। इसकी विशेषता यह है कि नरहरा धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों की भागीदारी को भी सुनिश्चित किया गया है, जिससे उन्हें स्थायी आय और रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
नरहरा धाम को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने और उसके प्रबंधन एवं नियंत्रण का अधिकार ग्राम समिति या ग्रामसभा कोटरवाही और झूरातराई के ग्रामीणों को सौंपा गया है। नरहरा धाम तक पहुंचने के लिए एक मार्ग तैयार किया गया है।
इसके अतिरिक्त, स्वच्छ भारत मिशन के तहत सामुदायिक शौचालय का निर्माण भी किया गया है। पर्यटन क्षेत्र में सामुदायिक शौचालय, स्वच्छता, वाहन पार्किंग, और टूरिस्ट गाइड का संचालन स्थानीय ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों के समूह द्वारा किया जा रहा है।
धमतरी जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर, नरहरा धाम कुकरेल से बिरझुली जाने वाली पक्की सड़क के बाद कोटरवाही से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
जलप्रपात का स्वरूप पूरी तरह से प्राकृतिक है, और आसपास का पानी बहकर नरहरा धाम में जलप्रपात का रूप धारण करता है। चट्टानों के ऊपर से पानी का प्रवाह यह दर्शाता है कि तेज बहाव ने चट्टानों को काटकर अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का निर्माण किया है।
यह पानी आगे बढ़कर महानदी में मिल जाता है। नरहरा धाम न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि धार्मिक आस्था का भी केंद्र है। यहां ऋषि मारकंडे ने तप किया था, और यह उनकी तपस्थली मानी जाती है। इसी स्थान पर माता नारेश्वरी देवी का मंदिर भी स्थापित है। प्रतिदिन यहां सैकड़ों लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।