धर्मांतरण को लेकर छत्तीसगढ़ में भी बनेगा कड़ा कानून……

…….माओवादी हिंसा से प्रभावित बस्तर इलाका दो तरह के तनावों के बीच पिस रहा है। धर्मांतरण का ये शोर बस्तर में अब जोरों से सुनाई देता है। विवाद अपने पूर्वजों के धर्मों का पालन करने वालों और ईसाई धर्म कबूल करने वाले आदिवासियों के बीच है। जनता ने जिन्हें सत्ता की कमान सौंपी है वो इस बात से इनकार करते रहे हैं।

………… जबकि सुकमा के तात्कालीन एसपी ने ही सरकार की पोल खोल कर रख दी थी। जुलाई 2021 में अपने अधीनस्थ अफसरों के लिए एक पत्र जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि जिले में ईसाई मिशनरियों और धर्म परिवर्तित आदिवासियों के द्वारा स्थानीय आदिवासियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पत्र में कहा गया है कि धर्म परिवर्तित आदिवासी समाज के बीच विवाद की स्थिति बन सकती है, इसलिए इस गतिविधि पर नजर रखें। कानून व्यवस्था ना बिगड़े इसका ध्यान रखें।

………… ने कहा कि फिर जनवरी 2023 में नारायणपुर में आदिवासियों के समूह ने धर्मांतरण की शिकायत करते हुए चर्च में तोड़फोड़ की। एक आईपीएस समेत छह पुलिसकर्मी घायल भी हुए। धर्मांतरण का मुद्दा सड़क से सदन तक गूंजता रहा पर सरकार के संरक्षण के कारण इस पर एक्शन ही नहीं लिया गया और आज धर्मांतरण का मामला पूरे बस्तर संभाग में फैल चुका है।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता धर्मगुरु और उत्तराखंड के मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि छत्तीसगढ़ में धर्मातारण होना दु:खद है। सभी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार होना चाहिए। लेकिन, कांग्रेस सरकार ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की। गरीबों को प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। यदि यह दुष्चक्र चलता रहा तो वंचित और आदिवासी समुदाय अपने आस्था केंद्रों और संस्कृति की रक्षा कैसे कर पाएगा?

उन्होंने कहा कि भाजपा धर्मांतरण पर रोक लगाएगी। छत्तीसगढ़ में जिस तरह धर्मांतरण हो रहा है, बहुसंख्यक समुदाय की आस्था पर हमले हो रहे हैं, आततायी तांडव कर रहे हैं, संस्कृति रक्षकों की हत्या हो रही है, सनातन धर्म के लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है, वह अकारण नहीं है। इसके पीछे गहरी साजिश है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा सनातन संस्कृति पर किए जा रहे लगातार हमलों पर श्री सतपाल महाराज ने कहा कि सनातन संस्कृति पर आक्रमण पहले भी हुआ। अब भी हो रहा है। लेकिन न अतीत में सनातनी डिगा, न आज वह डिग सकता।

………………..ने कहा कि उत्तराखंड में धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 लागू किया गया है। जिसमें गैरकानूनी धर्मांतरण को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए अधिकतम 10 साल के कारावास की सजा का प्रावधान है। ऐसे मामलों में अपराधियों को कड़ी सजा देने का मार्ग प्रशस्त करने वाला अधिनियम बन गया है.

दस साल तक की अधिकतम कैद के अलावा, उत्तराखंड में जबरन और गैरकानूनी धर्मांतरण में लिप्त व्यक्तियों पर अब कम से कम 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा.