रायपुर। विधानसभा चुनाव 2023 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। आचार संहिता लागू हो चुकी है। बावजूद इसके प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की एक परेशानी है…बिजली (Bijli) । जो दूर होने का नाम ही नहीं ले रही है। दरअसल, प्रदेश के कई क्षेत्रों में बिजली कटौती के नाम पर घंटों लोग परेशान हो रहे है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली ज्यादा जा रही है। चुनावी मौसम में यह बिजली कटौती (Bijli) सत्ताधारी दल को भारी भी पड़ सकती है। ज्यादा बिजली बिल आने और हॉफ बिजली बिल देने का मुद्दा तो पहले से ही राजनीतिक तौर पर गरमाया हुआ था। वहीं अब बिजली कटौती पर लगाम नहीं लग पा रही है। ऐसे में बिजली कटौती की परेशानी कई माननीय की कुर्सी खतरे में भी ला सकती है।
प्रदेश के रायगढ़, सारंगढ़ बिलाईगढ़, जांजगीर, महासमुंद, कोरबा, बालोद, कांकेर, डोंगरगांव, गरियाबंद, कवर्धा, सहित अन्य क्षेत्रों में बिजली कटौती की शिकायतें ग्रामीणों ने की। उनका कहना है कि मेटेंनस के नाम पर अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। इसके अलावा शहरी इलाकों में भी बार-बार बिजली (Bijli) गुल हो रही है। लगातार बिजली गुल से लोग न सिर्फ नाराज है, बल्कि बहुत आक्रोश में नजर आ रहे।
छत्तीसगढ़ में पिछले कई माह से वितरण विभाग द्वारा घंटों बिजली (Bijli) बंद कर मेंटेनेंस व रखरखाव का कार्य किया। कार्य किस ढंग से हो रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेंटेनेंस के बाद भी जरा सा हवा और पानी गिरने पर बिजली बंद हो रही है और घंटो शुरू नहीं हो रही है। स्थिति यह हो गई है कि बिना किसी कारणवश भी विद्युत आपूर्ति बंद कर दी जाती है।
छत्तीसगढ़ राज्य बिजली के लिए सरप्लस स्टेट है। उसके बावजूद अघोषित कटौती (Bijli) से किसान चिंतित है। प्रदेश में ऐसा कोई शहर, नगर, कस्बा या गांव नहीं हो जहां से बिजली बंद की शिकायतें न आ रही हो। वर्तमान में खरीफ सीजन के तहत धान की फसलें खेतों में लगी हुई है। प्रदेश में इस साल औसत से 7 प्रतिशत कम बारिश हुई है। बांध और जलाशयों से किसानों को पानी नहीं मिल रही। अन्नदाता स्वयं से सिंचाई की व्यवस्था कर रहे। कुछ जगहों पर बोर पंप और ट्यूबवेल के जरिए खेतों तक पानी पहुंचा रहे, लेकिन बिजली कटौती के कारण इसमें भी परेशानी आ रही है।
प्रदेश में बिजली कटौती और किसानों को होने वाली परेशानी को लेकर विपक्षी पार्टियां किसानों के साथ सड़क पर उतरकर आंदोलन कर चुकी है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार बिजली को सुचारू रूप से आपूर्ति नहीं कर पायी है। सर पर विधानसभा चुनाव है। इस अघोषित कटौती काे लेकर मुख्य विपक्षी भाजपा द्वारा सरकार को लगातार घेर रही थी। वहीं विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बना सकती है और सरकार को घेर भी सकती है। ऐसे में बिजली कटौती सत्ताधारी दल को भारी भी पड़ सकती है।
सत्ताधारी दल की दलील होती है कि पूर्व में आए दिन ब्लैक आउट के हालात बनते थे। कांग्रेस की सरकार ने गांव से लेकर शहरों तक बिजली की व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम किया है। जिस तेजी से कांग्रेस के दौर में काम हुआ है। ऐसा काम पहले नहीं हुआ था। हालांकि ये दलीलें संसद में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री द्वारा पेश किए रिपोर्ट इन दावों की पोल खोलती है। दरअसल, संसद में देश के टॉप 5 बिजली कटौती वाले राज्यों के नाम बताए गए थे। इनमें सबसे पहले आंध्रप्रदेश, दूसरे नंबर पर अरुणाचल प्रदेश, तीसरे नंबर पर असम, चौथे स्थान पर बिहार और पांचवें पायदान पर सरप्लस बिजली राज्य छत्तीसगढ़ है।
