रायपुर। कथित तौर पर सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री भेंट मुलाकात के जरिए छत्तीसगढ़ के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचे। हर विधानसभा में सीएम को खराब सड़कें (Sadak) की शिकायतें मिली। सीएम साहब ने कहा कि सरकार के पास फंड की कोई कमी नहीं है। बरसात खत्म होते ही लाेगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए सड़कों की मरम्मत का काम शुरू कर दिया जाएगा।
इसके अफसरों को निर्देंश देने के दावे किए गए थे, लेकिन बरसात गुजरते ही गड्ढों में सड़क (Sadak) ढूंढना मुश्किल हो गया है। हाईवे हो या शहर की सड़कें बदहाल हैं। इनमें देहात क्षेत्र की सड़कों का और बुरा हाल हैं। रोजना हजारों लोग इन मार्गों से जान जोखिम में डालकर मुश्किल भरा सफर तय करने को मजूबर हैं। राजधानी रायपुर की प्रमुख सड़कों से लेकर गांव की गलियों में हिचकोले खाते हुए वाहन गुजरते रहते हैं। इससे कई बार दुहिया वाहन सवार गिरकर चोटिल हो चुके हैं। चार पहिया वाहनों के साथ भी हादसा होने का अंदेशा बना रहता है। अधिकारी और माननीय नेता भी इन मार्गों से होकर गुजरते हैं, फिर भी समस्या का समाधान नहीं कराते हैं। अभी यही सड़कों की गड्ढ़े इस विधानसभा चुनाव में अहम फैक्टर साबित हो सकता है और कई माननीयों की नैय्या भी डूबा सकती है।
नेताओं को जनता के आक्रोश का भी बढ़ा खतरा : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का चुनावी बिगुल बज चुका है। अब कुछ ही दिनों में कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी चुनाव प्रचार में निकलेंगे। लोगों के सामने वोट के लिए हाथ जोड़ते हुए जनसंपर्क करेंगे। इस दौरान उन्हें शहरों और कस्बों के बाजारों में व्यापारियों और कॉलोनिवासियों, मोहल्लों और ग्रामीण इलाकों के गांवों में आम जनता के आक्रोश का भी सामना पड़ेगा। क्योंकि सभी सड़कें (Sadak) बदहाल हैं। इससे शहर के रहवासी हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र के लोग हर कोई हलाकान और परेशान है।
शहरवासी भी पहली बार दिख रहे ज्यादा परेशान : केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत हर घर स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन डालने का काम किया जा रहा है। यह काम शहर से लेकर गांव तक चल रहा है। हर जगह सड़कों की खुदाई की जा रही है। नियमानुसार सड़क की खुदाई करने के बाद तत्काल पाइप लाइन डालकर सड़क मरम्मत का काम होना चाहिए, पर राजनेताओं की उपेक्षा, अफसरों की मनमानी और विभागों में आपसी तालमेल नहीं होने के कारण सड़क खोदकर छोड़ दी जा रही है। खुदाई से खस्ताहाल हो चुकी शहर की सड़कें धूल का गुबार उगल रही हैं। ऐसी सड़कों पर लोगों का चलना मुश्किल हो गया है। दुकानों तक सुबह से लेकर शाम तक धूल भरती है। क्योंकि, खुदाई के बाद ठीक से मरम्मत भी ठेकेदार नहीं करा रहे हैं, न ही इसकी मॉनिटरिंग कराई जाती है। पिछले कई सालों में इन सड़कों को लेकर पहली बार शहरवासी भी परेशान नजर आ रहे। ये जनाक्रोश भी कही चुनाव में भारी न पड़े।
अब जनवरी तक स्थिति सुधरना मुश्किल : वर्तमान में दशहरा और दिवाली जैसे बड़े त्योहार सामने हैं। ऐसे में नगर निगम, नगर पंचायत, नगर पालिका और ग्राम पंचायत के सामने सड़कों (Sadak) की सुधारने की चुनौती है। सड़क खुदाई का सिलसिला अभी रुका नहीं है। चुनाव आचार संहिता लगने के साथ ही शहर के लोग इस पेसोपेश में हैं कि सड़कों का डामरीकरण होगा या नहीं। क्योंकि उन्हें घर से निकलते ही धक्के खाने पड़ रहे हैं। कमोबेश ऐसी हालत सभी सड़कों की हो चुकी है। वाहनों की आवाजाही से धूल का गुबार नाक-मुंह में भर जाती है। अधिकारियों के अनुसार आचार संहिता लगने से पहले ही डामरीकरण की जिन सड़कों की स्वीकृति हो चुकी है, वहां आचार संहिता के बावजूद काम होगा, लेकिन जिन सड़कों की स्वीकृति नहीं मिली है। वहां अब दिसंबर में नई सरकार और मंत्रिमंडल का विस्तार होने तक सड़कों की मरम्मत का इंतजार करना होगा।
खराब सड़कें बेगुनाहाें की ले रही जान : प्रदेश की खस्ताहाल सड़कों (Sadak) के कारण सड़क दुर्घटना में भी वृद्धि हो रही है। रोजाना प्रदेश के किसी न किसी काेने से सड़क हादसे में मौत होने की खबर आ रही है। बीते साल की आंकड़ों पर ही गौर करें तो छत्तीसगढ़ में पिछले वर्ष 2022 में 13279 सड़क दुर्घटना हुआ। इसमें 5834 लोगों की मौत और 11695 लोग घायल हुए थे। उक्त सड़क दुर्घटनाओं में ज्यादातर मौतें दो पहिया वाहन चालकों की दर्ज की गई, लगभग 70% मौतें दो पहिया वाहन चालकों की हुई है। 2023 में भी यही हाल है। हालांकि आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं, लेकिन बीते वर्ष की तुलना में कोई कमी नहीं आयी है, बल्कि जर्जर सड़कों की वजह से आंकड़ों में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
लोगों को बीमार बना रही जर्जर सड़कें : प्रदेश की ज्यादातर जर्जर सड़कें (Sadak) लोगों की सेहत बिगाड़ रहीं हैं। बारिश का मौसम खत्म होते ही इन सड़कों पर वाहनों की आवाजाही से धूल उड़ रही है। इससे आम लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। चिकित्सकों की मानें तो धूल से आंखों की बीमारियों के मरीज बढ़ रहे हैं। धूल से गला खराब होता है तो वहीं, वायरल, इनफ्लूएंजा, वायरल फीवर, डोकाइटिस व सांस से संबंधी बीमारी हो जाती है। इसके साथ ही गहरे गड्ढे जहां हड्डी संबंधी बीमारियां बढ़ा रहे हैं। वहीं, दिन भर रहने वाले धूल भरे माहौल से लोगों में श्वांस, त्वचा की शिकायतें बढ़ रही है। लोग हड्डी संबंधी बीमारियों और अन्य शिकायतों की चपेट में आ रहे हैं। इनमें सबसे अधिक समस्या आंखों में हो रही है। वहीं, श्वांस एवं दमा के रोगियों के लिए सड़कों पर उड़ रही धूल भारी पड़ रही है। दिनभर रहने वाले धूल भरे माहौल से इनकी बीमारियां उखड़ रही हैं।
ओवरलोड वाहन खराब कर रही सड़कें : छत्तीसगढ़ की सड़कों को खराब करने में ओवरलोड वाहनों का भी हाथ है। रेत इंडस्ट्रियल एरिया में ओवरलोड कोयला, खनिज, गिट्टी, रेत खदानों से ओवरलोड वाहनों का निकलना बंद नहीं हो रहा है। क्षमता से अधिक कोयला, रेत और गिट्टी भरकर निकलने वाहनों से पांच साल तक की गारंटी वाली सड़कें पांच महीने में ही जवाब दे रही हैं। चाहे पीडब्ल्यूडी द्वारा बनवाई गईं सड़कों हो या फिर प्रधानमंत्री ग्राम सड़कें। पांच-सात महीनों में ही पगडंडी का रूप ले लेती हैं। खास बात यह है कि ग्रामीणों द्वारा समय समय पर ओवरलोड वाहनों पर रोकने के लिए शिकायतें होती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है। वहीं गुणवत्ताविहीन सड़कों का निर्माण भी सड़कों को खराब करने में बड़ा हाथ होता है। अफसर और राजनेता कमीशनखोरी के चक्कर में गुणवत्ता के साथ समझौता करते हैं जिसका खामियाजा आम पब्लिक को भुगतनी पड़ती है।