बरमकेला। पिछले साल 15 अगस्त को सीएम भूपेश बघेल ने चार नए जिलों की घोषणा की थी। इसमें रायगढ़ से सारंगढ़ और बलौदाबाजार-भाटापारा से बिलाईगढ़ को अलग कर सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला बनाने की घोषणा की जो 3 सितंबर को यह नया जिला अपने अस्तित्व में आएगा। सारंगढ़ को जिला घोषित करने के बाद बरमकेला व सरिया क्षेत्र लोगों ने उन्हें रायगढ़ जिला में ही यथावत रखने की मांग की। वहीं पिछले साल नवाखाई के दिन ही हजारों की संख्या में बरमकेला व सरिया के लोग रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक की अगुवाई में सीएम हाउस पहुंचे। जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उन्हें जिस जिला में रहना है रहें, उन्हें बाध्य नहीं किया जाएगा। कोई भी नवीन जिला का निर्माण जनता की सुविधा को ध्यान में रखकर बनाया जाता है और आपकी सुविधा रायगढ़ जिले में रहने से है तो आप वहीं रहेंगे। शासन के प्रक्रिया के तहत दावा आपत्ति के समय प्रावधान के तहत आप अपना आपत्ति दर्ज करा देंगे। इससे ग्रामीण आश्वासित हो गए थे कि बरमकेला व सरिया के लोग रायगढ़ जिला में ही रहेंगे। दावा आपत्ति के दौरान 20 दिसंबर सोमवार को तहसील कार्यालय पहुंचकर क्षेत्र के 225 गांवों से 17 हजार से अधिक लोगों ने साथ ही 96 ग्राम पंचायत प्रस्ताव, बरमकेला व सरिया दोनों नगर पंचायत, जनपद पंचायत सदस्यों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई थी। बावजूद इसके बरमकेला व सरियावासियों द्वारा किए गए आपत्ति व दिए गए आश्वासन के बाद भी मुख्यमंत्री अपने वायदे पर खरा नहीं उतरे। इससे बरमकेला व सरियावासियों में भारी आक्रोश है।
लेन्धरा भाजपा मंडल अध्यक्ष भूतनाथ पटेल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि आश्वासन देने के बाद भी सीएम अपनी वायदों से मुकर गए। इस धोखेबाजी को बरमकेला व सरिया के लोग कभी माफ नहीं करेंगे। भाजपा नेता ने कहा कि अगर बरमकेला व सरिया को सारंगढ़ में शामिल करना था तो मुख्यमंत्री को स्पष्ट कर देना चाहिए था, लेकिन जिस तरह से उन्होंने लोगों को झूठा आश्वासन दिया है कि संभवत: इसका परिणाम आने वाले दिनों में नजर आएगी।