रायपुर। छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। इसे लेकर प्रदेश की सियासत में गरमा चुकी है। सत्तासीन कांग्रेस व विपक्षी भाजपा एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे। भाजपा ने पहले प्रदेश में बेरोजगारी, बेरोजगारी भत्ता व खराब सड़केंं व शराबबंदी के मुद्दे को लेकर घेरने की कोशिश की फिर ईडी की कार्रवाई को लेकर सियासत गरमाई और अब सहकारिता विभाग में नियुक्ति को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। मंगलवार को भाजपा नेताओं ने एक प्रेस कांफ्रेस आयोजित कर राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला है। मीडिया से बातचीत करते हुए बीजेपी नेताओं ने कहा कि सरकार ने सहकारिता आंदोलन का फ ालूदा निकाल दिया है। सोसायटी को घाटे का पैसा नहीं दिया जा रहा है और जिलों में प्रशासक की नियुक्ति की जा रही है। नियम के विरुद्ध नियुक्तियां की जा रही है। राज्यपाल को इसे संज्ञान में लेना चाहिए। इस सरकार को बैजनाथ कमेटी ने दरकिनार कर दिया है। केंद्र सरकार ने अलग से सहकारिता विभाग बनाया है लेकिन राज्य सरकार उसके सारे नियम तोड़ रही है। भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, विधायक शिवरतन शर्मा, सहकारिता नेता अशोक बजाज व सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने एकात्म परिसर में आयोजित पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, वन मंत्री मो. अकबर पर सहकारिता आंदोलन खत्म करने, पंचायती राज व्यवस्था को बदहाल बनाने, कांग्रेस के लोगों को रेवड़ी बांटने का आरोप लगाया। भाजपा नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन को खत्म कर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं, नेताओं को संतुष्ट करने नियम कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। केंद्र सरकार ने सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए सहकारिता मंत्रालय बनाया है और यहां भूपेश बघेल सहकारी समितियों का औचित्य ही समाप्त करने पर आमादा हैं। वे नियमों से खिलवाड़ कर रहे हैं। नियम बदल रहे हैं लेकिन क्या होगा, कैसे होगा, यह तय नहीं है। भूपेश बघेल की मनमर्जी से सहकारिता आंदोलन दम तोड़ चुका है। सहकारी समितियों में नियम विरुद्ध प्रशासक की नियुक्त कर रहे हैं। कौन नियुक्त हो सकता है, इसका कोई मापदंड तय नहीं किया गया है। कांग्रेस के नुमाइंदों को उपकृत करने के लिए कई जिलों के पैक्स में बतौर प्रशासक नियुक्त कर दी गई है। जबकि 4 माह का कार्यकाल बाकी है। किसी भी सोसायटी के कमीशन का पूरा पैसा नहीं मिल रहा, जिसके कारण सोसाइटियां कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही हैं। अजय चंद्राकर ने पंचायती राज संस्थाओं के अधिकारों में कटौती की गई है। स्थायी समिति में गौठान समिति शामिल की गई है गौठान समिति क्या करेगी, किसी को नहीं मालूम। मनरेगा के सामान का लगभग दो अरब रुपये बकाया है। बकाया भुगतान के लिए लोग सरपंचों के घर पहुंच रहे हैं। परेशान होकर अगर कोई सरपंच कुछ कर लेते हैं तो इसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंचायत मंत्री रविन्द्र चौबे होंगे। भाजपा नेताओं ने राज्यपाल व मुख्य सचिव को इस बात का संज्ञान लेने की बात कही।