रायपुर. प्रदेश में 9 सितम्बर को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर कृमि की दवा खाने से छूट गए बच्चों और किशोरों को 14 सितम्बर को मॉप-अप राउंड के दौरान दवा खिलाया जाएगा। स्कूलों एवं आंगनबाड़ियों में 14 सितम्बर को एक वर्ष से 19 वर्ष के ऐसे सभी बच्चों एवं किशोरों को जो 9 सितम्बर को दवा नहीं खा पाए हैं, उन्हें कृमिनाशक दवा दी जाएगी। बच्चों व किशोरों के अच्छे स्वास्थ्य, बेहतर पोषण, नियमित शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए कृमिनाशक दवा देना आवश्यक है। एक से 19 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों और किशोरों को कृमिनाशक दवा जरूर खिलाएं।शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के उप संचालक डॉ. वी.आर. भगत ने बताया कि कृमिनाशक दवा का सेवन बच्चों और किशोर-किशोरियों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। बच्चों के शरीर में कृमि के कारण कुछ सामान्य प्रतिकूल प्रभाव जैसे जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, पेट में हल्का दर्द और थकान का अनुभव हो सकता है। इसके अतिरिक्त जिन बच्चों को तीव्र कृमि संक्रमण होता है, उन्हें आमतौर पर कुछ अस्थायी प्रभाव भी हो सकते हैं, जिनको आसानी से स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्रों में ही देखभाल करते हुए ठीक किया जा सकता है। बच्चों एवं किशोरों में ये लक्षण पाए जाने पर उन्हें पीने का साफ़ पानी दें और उन्हें अपनी निगरानी में रखें।
कृमि की दवा वर्ष में दो बार देना आवश्यक : डॉ. भगत ने बताया की पेट में कृमि होने के कई तरह की समस्या हो सकती है। ऐसे लक्षण के प्रति माता-पिता को जागरूक रहना चाहिए। कृमि के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है और खाने में रूचि घटती है। बच्चे अधिक भोजन करते हैं, लेकिन शरीर में नहीं लगता है। अल्बेंडाजोल की गोली खिलाने से बच्चे एनीमिया का शिकार होने से बच सकते हैं। इससे मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है और बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बच्चों को कृमिनाशक दवा खिलाना जरूरी है।